scriptपैकेटबंद सब्जी की व्यवस्था फेल, दो हजार से ज्यादा पैकेट हुए वापस | Packaged vegetable system failed more than 2000 packets returned | Patrika News

पैकेटबंद सब्जी की व्यवस्था फेल, दो हजार से ज्यादा पैकेट हुए वापस

locationआगराPublished: May 06, 2020 06:19:48 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

लोगों का कहना पैकेट में नहीं होता सब्जियों के चुनाव का विकल्प, लोग क्यों एक जैसी सब्जी रोज खाएंगे।
 

पैकेटबंद सब्जी की व्यवस्था फेल, दो हजार से ज्यादा पैकेट हुए वापस

पैकेटबंद सब्जी की व्यवस्था फेल, दो हजार से ज्यादा पैकेट हुए वापस

आगरा. जिले में 20 से ज्यादा सब्जी वालों के संक्रमित पाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने पैकेटबंद सब्जी पहुंचाने की व्यवस्था की थी। इनके लिए 100 और 200 रुपए की कीमत निर्धारित की गई थी। लेकिन प्रशासन की इस व्यवस्था को जनता ने फेल कर दिया। अधिकतर लोगों ने सब्जी वालों से ही सब्जी खरीदी।

सोमवार को प्रशासन ने 10 वार्डों में ये व्यवस्था शुरू की। आठ बजे 3600 पैकेट 15 वाहनों से भेजे गए। लेकिन सिर्फ 900 पैकेट ही बिके। 2,500 वापस हो गए। वहीं मंगलवार को 12 वार्ड और बढ़ा दिए गए। बिक्री के लिए 18 वाहनों से 3060 पैकेट भेजे गए, लेकिन सिर्फ 840 पैकेट की बिक्री हुई, 2,200 पैकेट वापस लौटाए गए। पैकेट बेचने के लिए प्रशासन ने सब्जी विक्रेताओं के पास भी अमान्य कर दिए। सब्जी का पैकेट हाथ में लेकर कर्मचारी घर घर जाकर पूछते रहे, लेकिन लोगों ने रुचि नहीं दिखायी। लोगों का कहना है कि पैकेटबंद व्यवस्था से हर वर्ग लाभान्वित नहीं हो सकेगा। गरीब और जरूरतमंंद लोग 50 रुपए की सब्जी से काम चला सकते हैं, तो 100 रुपए वे क्यों खर्च करेंगे। प्रशासन को इसमें हर वर्ग का ध्यान रखना चाहिए था।

इस मामले में सुनीता अग्रवाल का कहना है कि पैकेट की सब्जियों में ग्राहक कोई चुनाव नहीं कर सकता। पैकेट में जो दिया जा रहा है, वही खरीदना पड़ेगा। इसके अलावा सब्जी ताजी है या खराब है, बंद पैकेट में इसका पता ही नहीं चलता। ऐसे में कोई इस पैकेट को क्यों खरीदेगा।

वहीं नमिता कालरा का कहना है कि प्रशासन या तो अपने वाहन से सब्जी भेजें और इच्छानुसार लेने का विकल्प दे, या फिर सब्जी वालों पर प्रतिबंध लगाने की बजाय उनकी जांच कराए और जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आए उन्हें पास जारी करे। उनके लिए मास्क व ग्लव्स पहनना अनिवार्य करे। पैकेटबंद वाली व्यवस्था नहीं चल पाएगी। जो गिने चुने लोग आज पैकेट ले भी रहे हैं, वे भी कब तक एक तरह की सब्जी खाएंगे।

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