scriptइस गांव में आने से रोक दिया गया था नेहरू जी को, जानिये क्या था कारण | Pandit Jawaharlal Nehru was stopped from coming to village Barara | Patrika News

इस गांव में आने से रोक दिया गया था नेहरू जी को, जानिये क्या था कारण

locationआगराPublished: Nov 14, 2019 10:18:26 am

नेहरू जी के पिताजी मोतीलाल नेहरू तो आगरा के माईथान में रहते थे।

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आगरा। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का आगरा से गहरा लगाव था। वे यहां के लोगों को व्यक्तिगत रूप से जानते थे। कई बार आगरा आए। नेहरू जी के पिताजी मोतीलाल नेहरू तो आगरा के माईथान में रहते थे। कुछ समय तक वे वजीरपुरा (पीली कोठी के पास) भी रहे हैं। तब आगरा में हाईकोर्ट हुआ करता था।
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यहां हुआ था भव्य स्वागत
1958 में आरबीएस कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य ड़ॉ. आरके सिंह के साथ नेहरू जी बिचपुरी विकास खंड के गांव लड़ामदा में आए थे। उन्हें कॉलेज के बिचपुरी कैम्पस से लड़ामदा तक बैलगाड़ी में लाया गया था। उनके साथ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति आइजनहाबर भी थे। उनका स्वागत तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख टीकम सिंह की चौपाल पर किया गया था।
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बरारा में जाने से रोक दिया
आगरा के प्रगतिशील किसान ठाकुर रामबाबू सिंह (बरारा) ने बताया कि उस समय वे बहुत छोटे थे। नेहरू जी को देखने लड़ामदा गए थे। नेहरू जी को पर्यटन गांव बरारा आना था, लेकिन अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा कारणों से जाने से रोक दिया था। इसी कारण लड़ामदा में कार्यक्रम हुआ था। नेहरू जी ने गांव का भ्रमण भी किया था।
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रामलीला मैदान में हुई सभा
1953 में आगरा में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें जवाहर लाल नेहरू पूरे समय उपस्थित रहे। रामलीला मैदान में सभा हुई थी। सभा में भीड़ उमड़ पड़ी थी। लाउडस्पीकर फेल हो गए थे। सभा ने नेहरूजी ने पहली बार शेर कहा था- चले, चलकर गिरे, गिरकर उठे, उठकर चले..। सभा में हुई अव्यवस्थाओं पर नेहरू जी ने टिप्पणी की थी कि लगता है आगरा वाले बड़ी सभा करना भूल गए हैं।

जवाहल पुल का उद्घाटन
जवाहर लाल नेहरू ने यमुना पर बने जवाहर पुल का उद्घाटन 1963 में किया था। यह पुल आज भी यथावत चल रहा है। अपनी मूर्ति पर माला पहनाने के आग्रह पर नाराज वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हर्षदेव के मुताबिक, महावीर दिगम्बर जैन इंटर कॉलेज, हरीपर्वत में एक कांग्रेस नेता ने नेहरू जी की मूर्ति स्थापित की थी। उसने नेहरू जी से आग्रह किया था कि इस पर माल्यार्पण कर दें। इस पर नेहरू जी ने नाराजगी प्रकट की और पैर पटकते हुए चले गए थे। कांग्रेसी नेता ने माफी मांगी, लेकिन बाद में कांग्रेस में बदलाव हुआ था। यह नेहरू जी की नाराजगी का परिणाम था।
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