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पत्रिका अमृतं जलम्: प्राचीन तालाब को बचाने के लिए किसानों ने किया श्रमदान, देखें वीडियो

locationआगराPublished: May 26, 2019 06:13:18 pm

पत्रिका द्वारा आयोजित अमृतं जलम् अभियान (Amritam Jalam Campaign) के तहत जब कार्यक्रम हुआ, तो गांव के लोग जुटना शुरू हो गये।

Water source

Water source

आगरा। आगरा-जयपुर मार्ग स्थित गांव महुअर में स्थित प्राचीन तालाब की दुर्दशा देख हर कोई हैरान है। रविवार की सुबह पत्रिका द्वारा आयोजित अमृतं जलम् अभियान (Amritam Jalam Campaign) के तहत जब कार्यक्रम हुआ, तो गांव के लोग जुटना शुरू हो गये। भारतीय किसान संघ के ब्रज प्रांत अध्यक्ष मोहन सिंह चाहर इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अभियान के उद्देश्य जानकर हर कोई राजस्थान पत्रिका की इस नेक पहल की प्रशंसा कर रहा था। इसके बाद सभी ने पत्रिका के बैनर तले श्रमदान कर तालाब की सफाई कराई। इसके साथ ही इस तालाब में दोबारा पानी आ सके, इसके लिये मुख्य अतिथि ने कहा कि वे जिलाधिकारी से मिलकर इस बारे में बात करेंगे।
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यहां है ये तालाब
आगरा जयपुर हाइवे पर स्थित ब्लॉक अछनेरा के गांव महुअर में ये प्राचीन तालाब है। यहां के रहने वाले मुकेश शर्मा ने बताया कि 20 साल पहले इस तालाब में हर समय पानी भरा रहता था। ग्रामीण देवी देवताओं को पानी देते थे। अब पानी नहीं है, तो देवी देवताओं को पानी देना बंद कर दिया है। तालाब के बगल में स्थित के मन्दिर में गोपालदास महात्मा रहते थे। पशु पानी पीते थे। जानवर पीते थे। उस समय तालाब में नारियल डाला जाता था। पूरे गांव की परिक्रमा लगती थी। जो नारियल को पकड़ता था। उसे ग्राम समाज की तरफ से पुरूषकार दिया जाता था।
सभी ने किया श्रमदान
महुअर स्थित इस तालाब के खोते अस्तित्व को बचाने के लिये आज हर कोई लालायित दिखाई दिया। पत्रिका के इस खास अभियान से लोग जुड़ने के बाद खुद को इस पुण्य कार्य में भागीदारी कर सौभाग्यशाली मान रहे थे। हाथ में फावड़ा लेकर तालाब के आसपास साफ-सफाई की गई। कुछ जगह पर खुदाई भी की गई, जिससे तालाब में आने वाले पानी में अवरोध उत्पन्न न हो सके। बड़ी संख्या में इस अभियान में ग्रामीणों ने हिस्सा लिया।
तालाब में आता था नहर का पानी
गांव महुअर के पूर्व प्रधान नौहवत सिंह ने बताया है कि इस तालाब में पहले नहर का पानी आता था। यह तालाब बाबा गोपालदास आश्रम का है। तालाब के पानी से पहले देवताओं को पानी दिया जाता था। अब इसमे गांव का गंदा पानी आ रहा है। 15 साल से गांव का गंदा पानी तालाब में आ रहा है। इस तालाब को खत्म कर दिया है। प्रशासन तालाब में नहर का पानी छुडवा दे। जो बंद कर दिया गया है। उन्होंने बताया इसके लिये कई बार अधिकारियों से भी चर्चा की गई, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला।
जल है तो जीवन है और जल तभी होगा, जब…
किसान नेता मोहन सिंह चाहर ने बताया कि जल है, तो जीवन है और जल तभी होगा, जब जल के प्राचीन स्त्रोत भी असतित्व में रहेंगे। उन्होंने बताया कि पहले कुएं होते थे, गांव में तालाब का स्वरूप भी बेहद बड़ा हुआ करता था। महुअर के जिस तालाब पर आज ये अभियान शुरू हुआ है, उसका भी बेहद वृहद स्वरूप था, लेकिन आज ये तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। पुष्पेन्द्र सिंह चाहर ने बताया कि हम खुद के साथ ही आने वाली पीढ़ी को यदि खुशहाल देखना है, तो जल की बर्बादी रोकनी पड़ेगी। साथ ही जल स्रोतों को भी सहेजना होगा। मोहन सिंह चाहर अपने साथ रामवीर, चौ, हमवीर सिंह, राजेश चाहर, चौधरी जल सिंह, पुष्पेंद्र चाहर, बच्चू सिंह नेता जी, सतीश कुमार आदि किसानों को लेकर आए।
ये रहे मौजूद
पत्रिका के इस अभियान में धर्मेन्द्र दीक्षित, राधा मोहन वर्मा, मुकेश शर्मा, रनवीर सिंह, नौहवत सिंह, ललित शर्मा, शिवम वर्मा, तेजपाल सिंह, राजकुमार, मलखान सिंह, मनमोहन, जय किशन, मुकेश, होतीलाल, गोविंद, ज्वाला प्रसाद, गंगा प्रसाद, राजू, कमल, होतम, सतीश चाहर, पुष्पेन्द्र सिंह चाहर, रामवीर सिंह, जल सिंह फौजदार, राजेश चाहर, रवि, गौरव, अनुज, संदीप, विजय, पंकज, पवन, चंदू, लोकेन्द्र, प्रदीप यादव मौजूद रहे।

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