डॉ. पार्थ सारथी शर्माः भारत में होम्योपैथिक एक मान्य चिकित्सा पद्धति है। केन्द्रीय होम्योपैथिक चिकित्सा परिषद, होम्योपैथिक चिकित्सालय, महाविद्यालय और सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों के हितों की रक्षा करनी है। उनके लिए गाइड लाइन बनाने का काम करती है। कॉलेजों का निरीक्षण समय-समय पर किया जाता है ताकि उसकी गुणवत्ता बनी रहे। इसी आधार पर मान्यता मिलती है। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथिक चिकित्सकों के लिए जो भी बेहतर हो सकता है, वह होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड करता है।
डॉ. पार्थ सारथी शर्माः मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि सरकारी होम्योपैथिक चिकित्सक अच्छी तरह सेवाएं दें। निश्चित तौर पर कमियां रही होंगी, जिससे मरीजों की संख्या कम है। प्रयास यही है कि होम्योपैथी के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा मरीज स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।
डॉ. पार्थ सारथी शर्माः होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड का गठन 40 साल बाद योगी सरकार ने किया है। प्रधानमंत्री का उद्देश्य है कि नॉन एलोपैथी में जितनी भी चिकित्सा पद्धतियां हैं, उन्हें ठीक से बढ़ावा मिले। इनमें हम्योपैथी के साथ आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, योगा आदि हैं। इसके लिए अलग से आयुष मंत्रालय बना दिया है। इसीलिए बोर्ड का गठन किया गया है। पूरे अधिकार हैं।
डॉ. पार्थ सारथी शर्माः नहीं, रिकॉर्ड बनाने के लिए मैंने कभी मरीज नहीं देखे हैं। मैंने 1993 में 23 साल की उम्र से मरीज देखने शुरू किए। 1998 में रिकॉर्ड अनजाने में बन गया। एक्सीडेंट के बाद मैं विश्राम कर रहा था। तब लोगों ने कहा कि बहुत मरीज देखे हैं। मैंने गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड लंदन को पत्र भेज दिया। उन्होंने स्वीकार कर लिया और मुझे सम्मानित किया, जो मेरे लिए गौरव की बात है। पूज्य पृथ्वीचंद जैन, चिकित्सालय जयपुर हाउस, आगरा में तब 62,481 मरीज देखे थे, जो पंजीकृत हैं। उसी क्रम में उसी स्थान पर 2019 में आज मरीज 14 लाख से अधिक हो गए हैं।
डॉ. पार्थ सारथी शर्माः जी हां। वहां सेवा करते हैं। पत्रिकाः लीडर्स आगरा के अध्यक्ष होने के नाते क्या कर रहे हैं?
डॉ. पार्थ सारथी शर्माः लीडर्स आगरा सामाजिक संस्था है। इसका मैं अध्यक्ष हूं। इसके माध्यम सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्य को करते हैं, जो समाज को सही दिशा दे सके।
डॉ. पार्थ सारथी शर्माः इन पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इलेक्ट्रो होम्योपैथी डिग्री वाले भी होम्योपैथी की प्रैक्टिस कर रहे हैं। योग्य चिकित्सक अपने क्लीनिक पर पंजीकरण का स्टिकर चस्पा करें। जल्दी ही कार्रवाई होगी।
डॉ. पार्थ सारथी शर्माः होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से सभी तरह की बीमारियों का इलाज होता है। अगर कोई मरीज बहुत गंभीर है, संक्रामक रोग से ग्रसित है तो उसे एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को भी अपनाना चाहिए।