वर्ष 1992 के नवम्बर में सपा की स्थापना हुई थी। अपने स्थापना काल से 2016 तक मुलायम सिंह यादव का आदेश ही अंतिम होता था।
हर छोटा बड़ा नेता उन्ही की बात मानता था। लेकिन परिस्तिथयां बदलीं और 2017 के पहले ही दिन उन्हें हटा दिया गया। तभी से तमाम उतार चढ़ाव आए लगा कि कमान उनके पास फिर आ सकती है।
मुलायम की गैर मौजूदगी में अखिलेश के दोबारा अध्यक्ष बन जाने के बाद अब मुलायम युग का फिलहाल अंत और नए युग की शुरूआत मानी जा रही है।
आगरा के सम्मेलन में मुलायम सिंह यादव के आने का कार्यक्रम बताया जा रहा था। लेकिन अंतिम समय में उनका कार्यक्रम निरस्त हो गया।
पार्टी के नव निर्वाचित अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नेताजी से उनकी सुबह भी बात हुई थी। मैनें उनसे कहा था कि सम्मेलन बड़ा है। आपका आशीर्वाद नहीं होगा, तो पार्टी आगे नही बढ़ेगी।
उनका दावा था कि नेताजी ने हम सभी को फोन पर आशीर्वाद दिया है। किरणमय नंदा को भी उन्होंने आशीर्वाद दिया है।
मुलायम सिंह यादव के नहीं आने से पार्टी वरिष्ठ लोगो में मायूसी दिखी। लेकिन नौजवान उत्साहित थे। नौजवानों और पार्टी के अन्य लोगों के उत्साह को बढ़ाते हुए अखिलेश यादव ने सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का संकल्प लिया।
मुलायम और शिवपाल की गैरमौजूदगी में अध्यक्ष चुने गए अखिलेश के समक्ष कई चुनौतियां भी हैं। अध्यक्ष चुने जाने के बाद अखिलेश ने कहा कि राजनीतिक रास्ता काफी टेड़ा मेढ़ा होता है। इसमें कई उतार चढ़ाव आते हैं।
भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की सरकार का विकास से कोई लेना देना नहीं है। चुनाव से पहले कुछ ऐसा मुद्दा छेड़ देंगे जिससे लोग भ्रम में पड़ जाएंगे और उनका वोट हासिल करने का प्रयास होगा।
सम्मेलन में डिंपल यादव भी पहुंचीं। उनके संबोधन के समय सपाइयों का जोश चरम पर था।
अखिलेश के राष्ट्रीय अध्य़क्ष बनते ही सपा में मुलायम युग का अंत हो गया है। पुराने सपाई उदास तो जवानों में जोश था।