मुफलिसी में मां-बेटे ने जहर खाकर जान दी फतेहपुरसीकरी के गांव नगर जन्नू निवसी मुबारक 35 साल का था। उसकी मां अस्सो दिव्यांग थी। वह चाहता था कि मां को वृद्धावस्था पेंशन मिल जाए, लेकिन सफलता नहीं मिली। किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला। हालांकि इसके लिए उसने ब्लॉक के चक्कर काटे, लेकिन सफलता नहीं मिली। वह दरी बुनकर परिवार का पेट भर रहा था। शादी हो गई थी। परिवार में पत्नी हलीमा, बेटा जावेद व आवेद, बेटी रुबीना और शबनम हैं। वे भी मुफलिसी के कारण परेशान हैं। घर में किच-किच होती थी। इससे मां और बेटे अवसाद में आ गए। दोनों ने गुरुवार की रात्रि में जहर खा लिया। मां की मौके पर ही मौत हो गई। मुबारक को इलाज के लिए भऱतपुर ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
अब मिलेगी आर्थिक मदद बीस साल पहले मुबारक के पिता जफरउद्दीन ने भी जहर खाकर जान दी थी। परिवार शुरू से ही मुफलिसी में था। घर का खर्च चलाने के लिए खेत तक बेचना पड़ा था। अब उप जिलाधिकारी फतेहपुरसीकरी अरुण कुमार कहते हैं कि परिवार को सरकारी आवास और आर्थिक मदद दी जाएगी। क्या करें, शासनादेश ही ऐसा है। मुबारक का परिवार फिलहाल छप्पर के घर में रह रहा है।
नहीं था बीपीएल कार्ड शासन की ओर से गरीबी उन्मूलन की अनेक योजनाएं चल रही हैं। गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों को बीपीएल कार्ड बनाए जाते हैं, ताकि उन्हें अधिकांश योजनाओं का निःशुल्क लाभ मिल सके। मुबारक वास्तव में गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहा था, लेकिन उसे बीपीएल कार्ड नहीं दिया गया।
पात्र को नहीं मिलता लाभः नरेश पारस सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस का कहना है कि सरकारी तंत्र ऐसा है कि पात्र को लाभ नहीं मिलता है। जिनके पास पक्के घर है, घर में टीवी और फ्रीज हैं, उनके पास बीपीएल कार्ड हैं। मुबारक छप्पर के घर में रह रहा था और उस पर बीपीएल कार्ड नहीं था। इससे साफ जाहिर है कि बीपीएल कार्ड भी जुगाड़ वालों को ही मिलते हैं।
यह प्रकरण गंभीरः चौधरी उदयभान सिंह इस बारे में पूछे जाने पर फतेहपुरसीकरी के भाजपा विधायक चौधरी उदयभान सिंह का कहना है कि मामला गंभीर है। वे अधिकारियों से बात कर रहे हैं कि गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। उन्हें दुख इस बात का है कि मुबारक ने आज तक अपनी व्यथा उन्हें नहीं बताई। वे ऐसे गरीबों के लिए अपने स्तर पर ही हर समय मदद में सक्षम हैं।
ये दुख वो जाने जिस पर आती है मुफलिसी ऐसी मुफलिसी के हालात पर आगरा के नजीर अकबराबादी ने लिखा है- जब आदमी के हाल पर आती है मुफलिसी किस-किस तरह से उसको सताती है मुफलिसी
प्यासा तमाम रोज बिठाती है मुफलिसी भूखा तमाम रात सुलाती है मुफलिसी ये दुख वो जाने जिस पर आती है मुफलिसी