दादाजी महाराजः मुझको राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। सब सरकारें कहती चली आई हैं कि ये करेंगे, वो करेंगे, लेकिन परेशानियां यथावत हैं। कोई परिवर्तन नजर नहीं आता है। पत्रिकाः क्या इसमें जनता का दोष नहीं है कि ऐसे लोगों को चुनती है जो कुछ कर नहीं पा रहे हैं?
दादाजी महाराजः जनता के पास कोई अधिकार नहीं है। जनता क्या करेगी। वह तो सिर्फ वोट दे सकती है।
दादाजी महाराजः जनता के पास कोई अधिकार नहीं है। जनता क्या करेगी। वह तो सिर्फ वोट दे सकती है।
पत्रिकाः उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन के बाद आपकी नजर में क्या होने वाला है?
दादाजी महाराजः बहुत सारे गठबंधन होते देखे हैं। देखते चले आ रहे हैं। एक जमाना हो गया। कोई स्थाई गठबंधन होते देखा नहीं है। कोई खास परिवर्तन होते देखा नहीं है। मेरे खयाल से खास असर नहीं होगा।
दादाजी महाराजः बहुत सारे गठबंधन होते देखे हैं। देखते चले आ रहे हैं। एक जमाना हो गया। कोई स्थाई गठबंधन होते देखा नहीं है। कोई खास परिवर्तन होते देखा नहीं है। मेरे खयाल से खास असर नहीं होगा।
पत्रिकाः उत्तर प्रदेश के बड़ी शक्तियों में गठबंधन हुआ है, लगता है कोई न कोई प्रभाव तो पड़ना चाहिए?
दादाजी महाराजः लोकसभा चुनाव पर ज्यादा असर पड़ेगा, इसके बारे में मुझे शंका है। हां, उत्तर प्रदेश की राजनीति पर जरूर असर पड़ेगा। हो सकता है कि लोकसभा की कुछ सीटें भाजपा के हाथ से निकल जाएं।
दादाजी महाराजः लोकसभा चुनाव पर ज्यादा असर पड़ेगा, इसके बारे में मुझे शंका है। हां, उत्तर प्रदेश की राजनीति पर जरूर असर पड़ेगा। हो सकता है कि लोकसभा की कुछ सीटें भाजपा के हाथ से निकल जाएं।
पत्रिकाः क्या गठबंधन अवसरवादिता नहीं है
दादाजी महाराजः अवसरवाद की राजनीति तो शुरू से होती चली आ रही है। इसमें कोई नई बात नहीं है। गठबंधन चुनाव में होते हैं और फिर बिखर जाते हैं। जो आगे होगा, सो देखेंगे।
दादाजी महाराजः अवसरवाद की राजनीति तो शुरू से होती चली आ रही है। इसमें कोई नई बात नहीं है। गठबंधन चुनाव में होते हैं और फिर बिखर जाते हैं। जो आगे होगा, सो देखेंगे।
पत्रिकाः क्या आपको लगता है कि नरेन्द्र मोदी के आने के बाद देश का नाम विदेश में रोशन हुआ है?
दादाजी महाराजः देश की अपनी एक परंपरा रही है। देश प्रगति के पथ पर चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय छवि सही हुई है। इसका श्रेय मोदी को कुछ हद तक जाता है। सद्भाव हुआ है। पड़ोसी देशों से शांति के संबंध कायम हो रहे हैं।
दादाजी महाराजः देश की अपनी एक परंपरा रही है। देश प्रगति के पथ पर चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय छवि सही हुई है। इसका श्रेय मोदी को कुछ हद तक जाता है। सद्भाव हुआ है। पड़ोसी देशों से शांति के संबंध कायम हो रहे हैं।
पत्रिकाः इसके बाद भी मोदी को रोकने का प्रयास किया जा रहा है कि 2019 में दोबारा न आ जाएं?
दादाजी महाराजः मैं कोई भविष्यवाणी तो कर नहीं सकता हूं, लेकिन बहते हुए पानी को रोकना मुश्किल होता है।
दादाजी महाराजः मैं कोई भविष्यवाणी तो कर नहीं सकता हूं, लेकिन बहते हुए पानी को रोकना मुश्किल होता है।
पत्रिकाः आपकी चिन्ता आगरा को लेकर बहुत रहती है, आखिर क्यों
दादाजी महाराजः सवाल चिन्ता का नहीं है। मैं आगरा में पैदा हुआ हूं। आगरा में पढ़ा लिखा हूं। आगरा में ही मैंने 36 साल नौकरी की। 30 साल आगरा कॉलेज में और छह साल आगरा यूनिवर्सिटी में। इसलिए मैं आगरा से प्यार करता हूं।
दादाजी महाराजः सवाल चिन्ता का नहीं है। मैं आगरा में पैदा हुआ हूं। आगरा में पढ़ा लिखा हूं। आगरा में ही मैंने 36 साल नौकरी की। 30 साल आगरा कॉलेज में और छह साल आगरा यूनिवर्सिटी में। इसलिए मैं आगरा से प्यार करता हूं।
पत्रिकाः आपका लेख है कि मेरा आगरा लौटा दो, जैसा आप आगरा बनाना चाहते हैं, वैसा कुछ नजर नहीं आता है, क्या लगता है?
दादाजी महाराजः मैं चाहता हूं कि आगरा की तरक्की हो।
दादाजी महाराजः मैं चाहता हूं कि आगरा की तरक्की हो।
पत्रिकाः चुनाव में सभी दलों के प्रत्याशी हजूरी भवन में आकर मत्था टेकते हैं, लेकिन जीतता कोई एक है, तो अप्रत्यक्ष रूप से आपका आशीर्वाद उसी को रहता है।
दादाजी महाराजः जैसा कि मैंने पहले
दादाजी महाराजः जैसा कि मैंने पहले
बताया है कि मेरा राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। जो हजूरी भवन में आएगा, उसका स्वागत है। पत्रिकाः आपके पास जो वोट बैंक है, नेता उसकी चाह में यहां आते हैं?
दादाजी महाराजः वोटों का भी बैंक होता है, ये मैं पहली बार सुन रहा हूं। बैंक में तो नोट जमा होते हैं और समय-समय पर निकालते रहते हैं।
पत्रिकाः सिद्धांतों पर नेतागण बने रहें, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं
दादाजी महाराजः सिद्धांत और आदर्श की बातें चुनाव से पहले होती हैं और उसके बाद लोग भूल जाते हैं। पांच साल में एक मौका आता है वोट देने का। इसके अलावा तो कुछ नहीं होता है। चुनाव घोषणापत्र के वादे कितने पूरे होते हैं, यह जगजाहिर है। देश की प्रगति होनी चाहिए। हमारी जो सांस्कृतिक परंपरा है, वो महत्वपूर्ण है।
दादाजी महाराजः सिद्धांत और आदर्श की बातें चुनाव से पहले होती हैं और उसके बाद लोग भूल जाते हैं। पांच साल में एक मौका आता है वोट देने का। इसके अलावा तो कुछ नहीं होता है। चुनाव घोषणापत्र के वादे कितने पूरे होते हैं, यह जगजाहिर है। देश की प्रगति होनी चाहिए। हमारी जो सांस्कृतिक परंपरा है, वो महत्वपूर्ण है।
पत्रिकाः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी हैं, उस दृष्टि से उत्तर प्रदेश की धार्मिक और आध्यात्मिक प्रगति की संभावना लगती है क्या?
दादाजी महाराजः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का व्यक्तिगत प्रभाव है। लखनऊ और गोरखपुर की दूरी है। लखनऊ का जो वातावरण है, वहां का पानी है, वह भी महत्वपूर्ण है। असली काम तो आईएएस और आईपीएस करते हैं। उनके कार्यों में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं है। वे जनसेवक हैं, यह भूल जाते हैं। कार्यप्रणाली में जब तक परिवर्तन नहीं होगा, तब तक जनता को परिवर्तन दिखाई नहीं देगा।
दादाजी महाराजः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का व्यक्तिगत प्रभाव है। लखनऊ और गोरखपुर की दूरी है। लखनऊ का जो वातावरण है, वहां का पानी है, वह भी महत्वपूर्ण है। असली काम तो आईएएस और आईपीएस करते हैं। उनके कार्यों में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं है। वे जनसेवक हैं, यह भूल जाते हैं। कार्यप्रणाली में जब तक परिवर्तन नहीं होगा, तब तक जनता को परिवर्तन दिखाई नहीं देगा।
पत्रिकाः केन्द्र सरकार ने सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण घोषित किया है, इस पर आपकी क्या राय है?
दादाजी महाराजः बहुत स्वागत है। गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले वो भी हैं, जो सफेदपोश हैं। उन्हें आरक्षण मिलेगा तो असर अच्छा होगा।
दादाजी महाराजः बहुत स्वागत है। गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले वो भी हैं, जो सफेदपोश हैं। उन्हें आरक्षण मिलेगा तो असर अच्छा होगा।
पत्रिकाः समाज में खाई बढ़ाने वाली बात नहीं है क्या ये?
दादाजी महाराजः खाई तो बढ़ चुकी है। यह एक छोटा सा गड्ढा क्या कर लेगा।
दादाजी महाराजः खाई तो बढ़ चुकी है। यह एक छोटा सा गड्ढा क्या कर लेगा।