हजूर महाराज ने छह दिसम्बर को छोड़ा था चोला राधास्वामी मत के द्वितीय गुरु हजूर महाराज की समाध स्थल हजूरी भवन से दादाजी महाराज ने पत्रिका के माध्यम से यह संदेश दिया है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी तिथि के अनुसार छह दिसम्बर, 1898 को हजूर महाराज ने मानव चोला छोड़ा और परमसत्ता राधास्वामी में विलीन हो गए। हजूर महाराज ने प्यार का संदेश दिया था। वही संदेश सभी सत्संगियों के लिए है। अब हजूर महाराज की समाध पर 27 दिसम्बर, 2019 को भंडारा होगा।
प्रेम हमें आगे ले जाता है दादाजी ने कहा कि हजूर महाराज के जो प्रेम का संदेश दिया है, उसी से विश्व में शांति कायम होगी। वैसे तो आज दुनिया में वैमनस्य फैला हुआ है, लेकिन जो प्रेम के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें कभी निराशा का सामना नहीं करना पड़ता है। यही प्रेम हमें आगे ले जाता है। राधास्वामी मत का सार ही प्रेम और गुरु के प्रति अगाध श्रद्धा है।
प्रेम और भक्ति का समय पर नियंत्रण यह कहे जाने पर प्रेम और भक्ति प्रत्यक्ष तौर पर कम होता जा रहा है, उन्होंने कहा कि न प्रेम कम होगा न भक्ति कम होगी। यह अपनी जगह पर है और भौतिकवाद अपनी जगह पर है। अध्यात्म की हमेशा जीत होती है। यह कहे जाने पर कि इसमें समय बहुत लगता है, दादाजी महाराज ने कहा कि कोई समय नहीं लगता है। प्रेम और भक्ति का नियंत्रण है समय पर। सबको संदेश यही है कि बहुत संभल कर रहें। दुनिया में अराजकता, स्वार्थ और वैमनस्य है। क्या हजूर महाराज के बताए रास्ते पर चलकर वैमनस्य को दूर कर सकते हैं, राधास्वामी गुरु दादाजी ने कहा – जो हजूर महाराज के रास्ते पर चल रहे हैं, वे बहुत तरक्की कर रहे हैं। विरोध, वैमनस्य, संकीर्णता पर प्रेम ही जीतेगा। शांति और सद्भाव आएगा।