मेयर पद जिताने के लिए राजबब्बर पर भार
आगरा से सिने अभिनेता और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। उनका जन्मस्थान भी आगरा से संबद्ध है। आगरा से राजबब्बर का गहरा नाता रहा है। इसलिए उनके कंधों पर आगरा से मेयर पद पर जीत का सबसे अधिक दारोमदार रहेगा। राजनीति के विशेषज्ञों को मानना है कि यूपी विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से चहेतों को टिकट बांटे गए और वे चारों खाने चित्त हुए। इसके बाद आगरा में महापौर पद के लिए प्रदेश अध्यक्ष को सोचना पड़ेगा। निकाय चुनाव इस बार कांग्रेस अपने सिंबल पर और बिना गठबंधन के लड़ रही है। इसलिए चुनाव में ऐसे प्रत्याशी को खड़ा करना होगा, जो भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को टक्कर दे सके। यदि इस बार भी राजबब्बर ने विधानसभा चुनाव वाले प्रत्याशियों का मोह दिखाया, तो उन्हें मुंह की खानी पड़ सकती है।
आगरा से सिने अभिनेता और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सांसद का चुनाव जीत चुके हैं। उनका जन्मस्थान भी आगरा से संबद्ध है। आगरा से राजबब्बर का गहरा नाता रहा है। इसलिए उनके कंधों पर आगरा से मेयर पद पर जीत का सबसे अधिक दारोमदार रहेगा। राजनीति के विशेषज्ञों को मानना है कि यूपी विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से चहेतों को टिकट बांटे गए और वे चारों खाने चित्त हुए। इसके बाद आगरा में महापौर पद के लिए प्रदेश अध्यक्ष को सोचना पड़ेगा। निकाय चुनाव इस बार कांग्रेस अपने सिंबल पर और बिना गठबंधन के लड़ रही है। इसलिए चुनाव में ऐसे प्रत्याशी को खड़ा करना होगा, जो भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को टक्कर दे सके। यदि इस बार भी राजबब्बर ने विधानसभा चुनाव वाले प्रत्याशियों का मोह दिखाया, तो उन्हें मुंह की खानी पड़ सकती है।
पैनल ने भेजे हैं कई नाम
इस बार पैनल में कई नाम भेजे गए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वे अभी इंतजार कर रहे हैं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के मेयर पद के प्रत्याशी के नाम के एलान का। यदि भाजपा ने किसी ब्राह्मण चेहरे को खड़ा किया, तो पार्टी अपनी रणनीति बदलेगी। वहीं समाजवादी पार्टी ने यदि वैश्य और ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला, तो पार्टी को एक बार सोचना पड़ेगा। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि बहुजन समाज पार्टी ने क्षत्रिय चेहरे पर दांव लगाया है।
इस बार पैनल में कई नाम भेजे गए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वे अभी इंतजार कर रहे हैं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के मेयर पद के प्रत्याशी के नाम के एलान का। यदि भाजपा ने किसी ब्राह्मण चेहरे को खड़ा किया, तो पार्टी अपनी रणनीति बदलेगी। वहीं समाजवादी पार्टी ने यदि वैश्य और ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला, तो पार्टी को एक बार सोचना पड़ेगा। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि बहुजन समाज पार्टी ने क्षत्रिय चेहरे पर दांव लगाया है।