जिहाद के नाम पर निर्दोष की हत्या आखिर कब तक…
उन्होंने कहा कि जिहाद के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या क्रूर और अनुचित कृत्य ही नहीं, बल्कि यह मानवता व धर्म विरोधी होने के साथ-साथ विश्व बंधुत्व व शांति के लिए एक बड़ा खतरा है। राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि एक तरफ इस्लाम को ‘रिलीजन ऑफ पीस’ कहा जाता है तो फिर क्यों नहीं इस तरह के आतंकवाद पर रोक लगाई जाती। जिहादियों को यह क्यों सीख दी जाती है कि तुम आत्मघाती हमला करके धर्म को बचा रहे हो। एक ओर बरेलवी उलेमा इस्लामिक आतंकवाद की निंदा करते हैं, वहीं दूसरी ओर देवबंदी उलेमा यह बयान देते हैं कि इन आतंकवादियों को धर्म से नहीं जोड़ा जाए।
उन्होंने कहा कि जिहाद के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या क्रूर और अनुचित कृत्य ही नहीं, बल्कि यह मानवता व धर्म विरोधी होने के साथ-साथ विश्व बंधुत्व व शांति के लिए एक बड़ा खतरा है। राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि एक तरफ इस्लाम को ‘रिलीजन ऑफ पीस’ कहा जाता है तो फिर क्यों नहीं इस तरह के आतंकवाद पर रोक लगाई जाती। जिहादियों को यह क्यों सीख दी जाती है कि तुम आत्मघाती हमला करके धर्म को बचा रहे हो। एक ओर बरेलवी उलेमा इस्लामिक आतंकवाद की निंदा करते हैं, वहीं दूसरी ओर देवबंदी उलेमा यह बयान देते हैं कि इन आतंकवादियों को धर्म से नहीं जोड़ा जाए।
ये विषय सोचने का
यह सोचने का विषय है कि देवबंदी इन कृत्यों की निंदा क्यों नहीं करते। जिहाद व फिदायिन दोनों इस्लामिक शब्द हैं, इस संबंध में देवबंदियों का चुप रहना बहुत से सवाल खड़े करता है। आखिर कौन सा धर्म और कौन सी शिक्षा इस तरह के आतंकवाद की प्रेरणा देती है। इस पर निश्चित रूप से सबको मिलकर रोक लगानी चाहिए। वहाबी विचारधारा को रोकना चाहिए। साथ ही, उन्होंने बुर्का और घूंघट को लेकर फिल्मी गीतकार जावेद अख्तर के दिए गए बयान को भी अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि बुर्का और साड़ी की तुलना बेमानी है।
यह सोचने का विषय है कि देवबंदी इन कृत्यों की निंदा क्यों नहीं करते। जिहाद व फिदायिन दोनों इस्लामिक शब्द हैं, इस संबंध में देवबंदियों का चुप रहना बहुत से सवाल खड़े करता है। आखिर कौन सा धर्म और कौन सी शिक्षा इस तरह के आतंकवाद की प्रेरणा देती है। इस पर निश्चित रूप से सबको मिलकर रोक लगानी चाहिए। वहाबी विचारधारा को रोकना चाहिए। साथ ही, उन्होंने बुर्का और घूंघट को लेकर फिल्मी गीतकार जावेद अख्तर के दिए गए बयान को भी अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि बुर्का और साड़ी की तुलना बेमानी है।
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