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रक्षाबंधन आजः बहनें राखी बांधते समय पढ़ें ये मंत्र, जानिए कब है शुभ मुहूर्त

locationआगराPublished: Aug 15, 2019 09:37:15 am

ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविन्द मिश्रा ने बता रहे हैं मंत्र
राखी का असली नाम रक्षासूत्र, इसका महत्व बताया

Raksha bandhan

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आगरा। आज रक्षाबंधन (Raksha bandhan ) है। भाई-बहन के अमिट प्रेम का त्योहार है। रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करती है और फिर कलाई पर राखी बांधती है। भाई अपना बहन को उपहार देता है। यह सामान्य परंपरा है। ज्योतिषचार्य (Astrologer) डॉ. अरविन्द मिश्र (Dr Arvind Mishra) का कहना है कि सिर्फ यही नहीं करना है। राधी बांधते समय बहनें एक मंत्र पढ़ें। इससे वे अपने धर्म के प्रति स्थिर रहेंगे। यह भी समझ लें कि राखी का असली मतलब रक्षासूत्र है। हम जिसके राखी (रक्षासूत्र) बांधते हैं, उसे अपनी रक्षा के लिए सन्नद्ध करते हैं।
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क्या है रक्षासूत्र का मंत्र

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

इस मंत्र का सामान्यत: यह अर्थ लिया जाता है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। वास्तविक अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है। ब्राह्मण अपने यजमान को रक्षासूत्र बांधते समय यह मंत्र पढ़ा करता था।
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शुभमूहूर्त

डॉ. अरविन्द मिश्रा ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस एक साथ हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि रक्षासूत्र बांधने में कोई बाधा नहीं है। सुबह से लेकर शाम तक कभी भी रक्षासूत्र बांधा जा सकता है। प्रातःकाल 5.50 बजे से शाम 5.59 बजे तक राखी बांधने का शुभ समय है। सावन पूर्णिमा 15 अगस्त की शाम 5.59 बजे तक रहेगी। प्रातःकाल से ही सिद्ध योग बन रहा है। इसलिए बहनें किसी भ्रम में न पड़ें। पूरे दिन कभी भी राखी बांध सकती हैं। राखी बांधते समय थाली में कुमकुम, चावल (अक्षत), नारियल, दीपक और मिष्ठान्न हो। साथ में जल भी रखें। राधी बांधने के बाद जल किसी वृक्ष की जड़ में डाल दें।
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