पत्रिका से बातचीत में मनोज कुमार ने कहा कि यह निर्विवाद है कि अयोध्या में जहां आज रामलला विराजमान हैं, वहां राम मंदिर ही था। इसे तोड़कर बाबर के सेनापति मीरबाकी ने मस्जिद का रूप दिया। तब से लेकर आज तक राम जन्मभूमि को वापस लेने के लिए अभियान चल रहे हैं। 72 से अधिक युद्ध हो चुके हैं। लाखों लोगों ने बलिदान दिया है। स्वतंत्र भारत में भी हिन्दू अपने आराध्यक्ष भगवान श्रीराम की जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए संघर्ष कर रहा है। इसे विडम्बना ही कहा जाएगा।
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण अयोध्या में उत्खनन करा चुका है। यह पाया गया है कि मंदिर के अधिष्ठान पर कथित मस्जिद बनाई गई। मंदिर की निर्माण सामग्री का ही उपयोग किया गया। कितनी अजीब बात है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सबकुछ सिद्ध हो जाने के बाद भी मुस्लिम पक्ष कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। राष्ट्रीय बजरंग दल ने मांग की थी कि संसद में कानून बनाकर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। सरकार ने यह मांग नहीं मानी। अब आशा सर्वोच्च न्यायालय से है। प्रतिदिन सुनवाई करके और समय सीमा तय करके सर्वोच्च न्यायालय आशा जगाई है कि राम जन्मभूमि पर सकारात्मक फैसला आएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मांग की है कि सुनवाई का समय कम से कम दो घंटा बढ़ाया जाए और शनिवार तथा रविवार को भी सुनवाई हो, ताकि किसी को यह कहने का मौका न मिले कि उसे सुना नहीं गयी है।
मनोज कुमार ने कहा कि कुछ लोग राम जन्मभूमि प्रकरण को लम्बा खींचना चाहते हैं ताकि उनकी राजनीति और दुकानदारी चलती रहे। राम के देश में ऐसा नहीं चलने दिया जाएगा। भारत का हर हिन्दू राम मंदिर बनाने के लिए कारसेवा के लिए निकलेगा। अयोध्या के मुस्लिम भी कारसेवा करेंगे। यह पूरे देश को पता होना चाहिए कि अयोध्या में मंदिरों के दर्शन के लिए आने वाले हिन्दुओं से ही मुस्लिमों की रोजी-रोटी चल रही है। उन्होंने कहा कि आप अयोध्या के किसी भी मुस्लिम से बात करें, सब राम मंदिर के पक्ष में हैं। अयोध्या में पूरी तरह सौहार्द बना हुआ है। बाहर के लोग माहौल खराब करना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसे लोगों की राजनीतिक हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।