आगरा

69वे गणतंत्र पर सुनिए स्नातक पास रहमत आलम की ये कहानी

बिहार निवासी रहमत आलम स्नातक के बाद सड़कों पर गुब्बारे बेचने को मजबूर आखिर कब मिलेगा युवाओं को रोजागार

आगराJan 26, 2018 / 03:40 pm

अभिषेक सक्सेना

आगरा। देश आज अपना 69वां गणतंत्र धूमधाम से मना रहा है। हर ओर तिरंगा फहराया जा रहा है। कहीं बूंदी तो कहीं लड्डुओं का वितरण किया गया। स्कूल, कॉलेजों में प्रभातफेरियां निकाली गईं। लेकिन, इन सबके बीच कुछ लोग आज भी ऐसे हैं, जो गणतंत्र दिवस मनाने से पहले अपनी जीविका चलाने के लिए जूझ रहे हैं। तिरंगे के जिस झंड़े या तिरंगी गुब्बारों को खरीदकर अपना शान से अपना गणतंत्र मना रहे हैं। उन्हें बेचने वाले एक युवा से बात की पत्रिका टीम ने, उस युवा से जाना कि देश के गणतंत्र में वो क्या चाहता है।
युवा रहमत आलम फिजिक्स से कर चुका है स्नातक
बिहार निवासी रहमत आलम आरा विश्वविद्यालय से स्नातक कर चुके हैं। देश में बेरोजगारी का आलम इस कदर व्याप्त है कि हर कोई अपना रोजगार बचाने की जद्दोजहद कर रहा है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में बेराजगारी दूर करने के वादे करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर युवा नौकरी से इस कदर परेशान हैं कि वे अपना परिवार चलाने के लिए कुछ भी रोजगार करने को विवश हैं। बिहार का ये निवासी आगरा के हरीपर्वत क्षेत्र में रहकर गुब्बारे, तिरंगा और बांसुरी बेचने का काम रहा है। अपने साथियों के साथ बिहार से आगरा आकर अपने परिवार की रोजी रोटी चलाने के लिए खुद के पैरों पर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है। आरा विश्वविद्यालय से साइंस से स्नातक करने के बाद उसने मुंबई में नौकरी भी लेकिन, बचत न होने के चलते वो नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गया। वहीं अब इस रोजगार से वो अपने परिवार का भरण पोषण करने की कोशिश कर रहा है। रहमत उन लोगों के लिए एक मिसाल भी पेश कर रहा है, जो हष्ठ पुष्ठ तंदरुस्त होते हुए भी भीख मांगने जैसा शर्मनाक काम करते हैं। रहमत आलम का कहना है कि वो ये चाहता है कि अगले गणतंत्र दिवस तक अच्छी सी नौकरी कर ले और अपने माता पिता को दिल्ली का गणतंत्र दिखा सके।

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