ये हैं बैठक में विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीनभाई तोगड़िया, सह महामंत्री विनायक राव देशपांडे, अंतरराष्ट्रीय महामंत्री संगठन दिनेश (बड़े दिनेश जी के नाम से मशहूर), महामंत्री संगठन चंपतराय (विहिप बृज प्रांत के संगठन मंत्री रह हैं और दिसम्बर, 1992 में अयोध्या में प्रमुख सूत्रधार थे), विहिप के संयुक्त मंत्री सुरेन्द्र जैन (पूर्व राष्ट्रीय संयोजक बजरंग दल), संयुक्त मंत्री राघव वल्लू, केन्द्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज समेत कुल 11 पदाधिकारी बैठक में भाग ले रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है। आमतौर पर समन्वय बैठक में विनायक राव देशपांडे, दिनेश और चंपतराय भाग लेते थे।
राम मंदिर पर चर्चा नहीं हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से मनमोहन वैद्य ने यह कहा था कि समन्वय बैठक में राम मंदिर पर चर्चा नहीं होगी। इसके विपरीत समन्वय बैठक में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से 11 पदाधिकारियों को बुलाए जाने से लग रहा है कि कुछ न कुछ अंदरखाने पक रहा है। कहा जा रहा है कि अगर राम मंदिर पर कोई चर्चा नहीं हो रही है, तो इतने पदाधिकारी क्यों बुलाए गए हैं। कहने को तो विहिप बहुत से काम करता है, लेकिन मुख्य बात राम मंदिर की है।
डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया आगरा और मैनपुरी में आएंगे डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया चार सितम्बर को आगरा और पांच सितम्बर को मैनपुरी के दौरे पर हैं। वे किसानों से संवाद करके बताएंगे कि कम लागत में अधिक उत्पादन वाली खेती कैसे करें? विश्व हिन्दू परिषद आगरा के महानगर अध्यक्ष दीपक अग्रवाल एडवोकेट और मंत्री राजीव शर्मा ने स्वीकार करते हैं कि किसानों को भी विहिप से जोड़ा जाना है। अधिकांश किसान हिन्दू हैं, जिनकी ओर अब ध्यान दिया गया है।
मुस्लिम घुसपैठियों पर चर्चा बैठक में क्या हो रहा है, किन बिन्दुओं पर चर्चा हो रही है, यह आधिकारिक रूप से कोई नहीं बता रहा है। एक प्रचारक ने बताया कि संघ भारत में आंतिरक सुरक्षा को लेकर चिन्तित है। फिर चाहे केरल और बांग्लादेश में संघ के स्वयंसेवकों की हत्या का मामला हो या म्यामांर से आ रहे रोहिंग्या मुसलमानों का मामला हो। रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश होते हुए भारत में घुसपैठ कर रहे हैं। घुसपैठिये अंततः आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सुरक्षा की बात है। जम्मू-कश्मीर में हो रही आतंकवादी घटनाओं को लेकर भी संघ चिन्तित है। केन्द्र सरकार ने वहां सख्ती की है, जिससे पत्थरबाजों पर अंकुश लगा है। संघ का मानना है कि कानून व्यवस्था ठीक रहेगी तो आंतरिक सुरक्षा को कोई खतरा नहीं रहेगा।