जब गोपालदास नीरज को कवि सम्मेलन में बुलाया महाकवि गोपालदास नीरज फाउंडेशन ट्रस्ट के सौजन्य से शुक्रवार की रात्रि में बल्केश्वर पार्क में सम्मान समारोह और कवि गोष्ठी आयोजित की गई। कवि गोपाल दासनीरज की पत्नी डॉ. मनोरमा शर्मा की 11वीं पुण्यतिथि पर यह आयोजन किया गया। काव्य गोष्ठी में डॉ. सीपी राय को संचालक मंजीत सिंह ने हल्के में लिया। लेकिन जब उन्होंने कविता पढ़ी तो सब वाह-वाह करने लगे। उन्होंने कहा- पहला कवि सम्मेलन जब कराया था तो सूरसदन में कुर्सियां नहीं थीं। केवल सीढ़ियां थीं। छत की जगह टिन थी। महाकवि गोपालदास नीरज उन दिनों बड़ा नाम था। फिल्मों में गीत लिखते थे। नीरज जी पहली बार उसमें आए थे। अनवर मिर्जा की गजल उन दिनों बड़ी प्रसिद्ध थी- उनके पैरों में मेहदी लगी है, वो आने-जाने के काबिल नहीं है। नीरज जी ने मुझसे पहले कवि सम्मेलन में पूछा कि पुष्प-पत्र क्या है? इसके बाद लगातार 14 साल तक कवि सम्मेलन कराया। उन्होंने मुझसे कहा कि सिर्फ बता देना कि 23 जनवरी को कवि सम्मेलन है, मैं पहुंच जाऊंगा। 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की याद में कवि सम्मेलन कराता था। उसी तारीख को लाल किले पर कवि सम्मेलन होता था। बड़े कवि नहीं मिल पाते थे। नीरज जी ने मुझसे कहा कि पूर्व संध्या पर कर दो हमने 22 जनवरी को कर दिया। उस पर राजनीति ने ग्रहण लगा दिया।
डॉ. सीपी राय ने काव्यपाठ के दौरान पहले अपने ऊपर कटाक्ष किया- मच गया शोर कि समाजवाद आया है गरीब दौड़ा अपने-अपने थैले लेकर कुछ फटे, मैले और कुचैले लेकर कुछ आए दुकानदार पर
वहां रहने वाले हर मकान पर क्यूं भैया समाजवाद कहां है और थोड़ी देर पहले तक क्या भाव बिका है नहीं मिला कोई उत्तर, सभी थे बेउत्तर वो बेचारा अपना थैला लटकाए हुए वापस जा रहा था
और समाजवाद अमर, अंबानी, अमिताभ के बंगले में बैठा ठहाके लगा रहा था दूसरी कविता भी नेताओं पर केन्द्रित रही- जूते चलते और चप्पल चलती संसद में न शरीफ की दाल गलती
इतने सालों से हमको लुटेरों ने लूटा है जो भी कहा सब ही तो झूठा है कारों में लेकर चले रक्षामंत्री को पूरी गिनती न आए वित्त मंत्री को सीमा पर जवान अपना खून बहाए
और उसका यश मिलता है प्रधानमंत्री को लोकतंभ देश की अजब थाती है मेरे भूखे भारत को ये कैसे भाती है कैसे पेट भरेगा भूखे भारत का जब एक-एक कुर्सी एक करोड़ खाती है..