संकटों को दूर करने वाली चतुर्थी
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि संकष्टी चतुर्थी के नाम से ही स्पष्ट है कि ये सभी संकटों को समाप्त करने के लिए है। इस दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि संकष्टी चतुर्थी यदि मंगलवार के दिन हो तो विशेष रूप से लाभदायी मानी जाती है। जब ये मंगलवार को पड़ती है तो इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। लेकिन इस बार 6 दिसंबर को चतुर्थी, बुधवार को होने के कारण काफी शुभ है क्योंकि बुधवार गणपति भगवान का ही दिन होता है।
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि संकष्टी चतुर्थी के नाम से ही स्पष्ट है कि ये सभी संकटों को समाप्त करने के लिए है। इस दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि संकष्टी चतुर्थी यदि मंगलवार के दिन हो तो विशेष रूप से लाभदायी मानी जाती है। जब ये मंगलवार को पड़ती है तो इसे अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। लेकिन इस बार 6 दिसंबर को चतुर्थी, बुधवार को होने के कारण काफी शुभ है क्योंकि बुधवार गणपति भगवान का ही दिन होता है।
चांद को देखकर खोलते हैं व्रत
इस दिन जो भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गणेश की आराधना करते या व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। परिवार के सारे कष्ट दूर होते हैं, क्लेश मिटता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा के दर्शन करके खोला जाता है।
इस दिन जो भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान गणेश की आराधना करते या व्रत रखते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। परिवार के सारे कष्ट दूर होते हैं, क्लेश मिटता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा के दर्शन करके खोला जाता है।
पूजन विधि
पूजन के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। पूजा का संकल्प लेकर उनको जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। अब केले का एक पत्ता या एक थाली ले लें। इस पर रोली से त्रिकोण बनाएं। त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च रखें। इसके बाद अग्ने सखस्य बोधि नः मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
पूजन के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। पूजा का संकल्प लेकर उनको जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। अब केले का एक पत्ता या एक थाली ले लें। इस पर रोली से त्रिकोण बनाएं। त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च रखें। इसके बाद अग्ने सखस्य बोधि नः मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।