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अप्सा के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थान होने के नाते हमारे लिए केवल लड़कियों की सुरक्षा ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उससे भी अधिक इस बात पर बल दिया जाए कि उन्हें शक्तिपूर्वक और समझदारी से कार्यवाही करने योग्य बनाया जाए। विद्यालयों में छात्राओं के लिए आवश्यक रूप से आत्म सुरक्षा और तंदुरुस्ती के लिए कक्षाएँ हों। सुरक्षा बलों से संबद्ध महिलाओं के साथ और अधिक वार्ता सत्र आयोजित किए जाने चाहिए। उनके द्वारा संकट के समय उठाये जा सकने वाले कदमों की जानकारी छात्राओं को दी जानी चाहिए।
अप्सा के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थान होने के नाते हमारे लिए केवल लड़कियों की सुरक्षा ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उससे भी अधिक इस बात पर बल दिया जाए कि उन्हें शक्तिपूर्वक और समझदारी से कार्यवाही करने योग्य बनाया जाए। विद्यालयों में छात्राओं के लिए आवश्यक रूप से आत्म सुरक्षा और तंदुरुस्ती के लिए कक्षाएँ हों। सुरक्षा बलों से संबद्ध महिलाओं के साथ और अधिक वार्ता सत्र आयोजित किए जाने चाहिए। उनके द्वारा संकट के समय उठाये जा सकने वाले कदमों की जानकारी छात्राओं को दी जानी चाहिए।
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विद्यालयों में नैतिक शिक्षा आवश्यक रूप से दी जाए श्री गुप्ता का कहना है कि सबसे महत्वपूर्ण है रोकथाम और बचाव। हमें शिक्षकों, लड़कों और लड़कियों को समान रूप से यौन शिक्षा के सुधार के लिए कार्य करना चाहिए। उन्हें साथ-साथ इस विषय में बताया जाए और विचार-विमर्श को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इससे एकदूसरे के प्रति समान रूप से सम्मान बढ़ेगा और हम ऐसे बेहतर मनुष्य बनने की आशा कर सकते हैं, जो ऐसे अमानवीय कृत्य कभी नहीं करेंगे। बेहतर है कि कारण पर ध्यान केंद्रित करें बजाय प्रतिक्रिया के। विद्यालयों में नैतिक शिक्षा आवश्यक रूप से दी जानी चाहिए। छात्राओं को आवश्यक सहायता के सभी सम्पर्क सूत्रों व नम्बरों की जानकारी अविलम्ब दी जाए। छात्राओं के साथ शिक्षिकाओं का संबंध ऐसा हो कि वे उन पर विश्वास कर सकें और किसी भी समस्या के आने पर खुल कर बता सकें तथा सहायता ले सकें।
विद्यालयों में नैतिक शिक्षा आवश्यक रूप से दी जाए श्री गुप्ता का कहना है कि सबसे महत्वपूर्ण है रोकथाम और बचाव। हमें शिक्षकों, लड़कों और लड़कियों को समान रूप से यौन शिक्षा के सुधार के लिए कार्य करना चाहिए। उन्हें साथ-साथ इस विषय में बताया जाए और विचार-विमर्श को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इससे एकदूसरे के प्रति समान रूप से सम्मान बढ़ेगा और हम ऐसे बेहतर मनुष्य बनने की आशा कर सकते हैं, जो ऐसे अमानवीय कृत्य कभी नहीं करेंगे। बेहतर है कि कारण पर ध्यान केंद्रित करें बजाय प्रतिक्रिया के। विद्यालयों में नैतिक शिक्षा आवश्यक रूप से दी जानी चाहिए। छात्राओं को आवश्यक सहायता के सभी सम्पर्क सूत्रों व नम्बरों की जानकारी अविलम्ब दी जाए। छात्राओं के साथ शिक्षिकाओं का संबंध ऐसा हो कि वे उन पर विश्वास कर सकें और किसी भी समस्या के आने पर खुल कर बता सकें तथा सहायता ले सकें।