आगरा

शहीद दिवस 2018 : इस स्थान पर एक वर्ष तक रुके थे सरदार भगत सिंह, हथियार चलाने की लेते थे ट्रेनिंग

1927 में आए थे, 1931 तक यहां के लोगों के संपर्क में थे

आगराMar 22, 2018 / 07:00 pm

धीरेंद्र यादव

Shaheed Diwas Martyr Bhagat Singh

आगरा। शहीद दिवस पर क्रांति की मशाल जलाने वाले सरदार भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को याद किया जाता है, उनका आगरा से गहरा नाता रहा है। सरदार भगत सिंह अपने इन दो साथियों के साथ एक वर्ष लगातार आगरा में रहे। यहां नूरी दरवाजे स्थित एक कोठी में वे रहते थे। यहां पर उनके द्वारा अंग्रेजी हुकूमत को हिलाने के लिए बम बनाए। ये स्थान उनके लिए मुफीद रहा। एक वर्ष में वे हींग की मंडी और नाई की मंडी भी रहे। कीठम, कैलाश के साथ ही भरतपुर के जंगलों में ये क्रांतिकारी हथियारों से निशाना लगाने का अभ्यास भी करते थे।

ये है नाता
इतिहासकार राज किशोर राजे ने बताया कि 23 मार्च 1931 को तीनों क्रांतिकारियों को एक साथ फांसी दी गई। तीनों ही क्रांतिकारी आगरा के लोगों के दिलों में बसते थे। यहां उन्होंने एक वर्ष का कार्यकाल बिताया साथ ही लगातार तीन वर्ष तक वे आगरा के संपर्क में रहे। आगरा इन क्रांतिकारियों के लिए मुफीद था, कारण था कि एक तो आगरा में क्रांतिकारियां गतिविधियों बहुत अधिक नहीं थीं, जिससे आगरा शांत था। यहां रहने पर किसी को शक भी नहीं हुआ, वहीं आगरा में रहने के बाद इन क्रांतिकारियों को कैलाश, कीठम और भरतपुर के जंगलों का भी फायदा मिलता था।
शहीद भगत सिंह की यादों को संजोए बैठा आगरा
इतिहासकार राज किशोर राजे ने बताया कि किराये का कमरा लेकर वे यहां रहे थे, उस जगह का नाम नाम अब भगत सिंह द्वार है। नूरी दरवाजा पर स्थित ये जगह आज भी शहीद भगत सिंह की यादों को संजोए बैठी है। यहां आज भी वो इमारत है, जहां सरदार भगत सिंह ने एक वर्ष का समय बिताया था, लेकिन आज ये इमारत बेहद जर्जर हो चुकी है। इस इमारत के लिए कोई समाज सेवी संगठन, या प्रशासनिक अमले ने कभी कोई कार्य नहीं किया।

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