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भगवान श्री कृष्ण ने मुरली का नाद किया था
वृन्दावन के गीता मनीषी विद्वान सन्त ज्ञानानंद महाराज ने शरद पूर्णिमा की महिमा बताते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा से ग्रीष्म का ताप कम होता है और शीतलता छाने लगती है। ब्रजमंडल के भाव से देखें तो शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने मुरली का नाद किया था। उसी के बाद महारास प्रारंभ हुआ। महारास परमात्मा के रस स्वरूप का मिलन है। यह भी पढ़ें- रिश्वत के पैसे लेकर बड़ा खुश हो रहा था शिक्षा विभाग का बाबू, तभी हुआ कुछ ऐसा कि फीका पड़ गया चेहरा मां लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था
शरद पूर्णिमा की रात चांद का सौंदर्य देखते ही बनता है। पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि इसकी सुंदरता को निहारने देवता भी धरती पर आते हैं। बरसात के बाद धुले आसमान से छिटकती चांदनी न केवल मनमोहक होती है, बल्कि ऐसी मान्यता है कि इस रात चांदनी से अमृत की बूंदें भी धरती पर गिरती हैं। शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व यह है कि इस दिन मां लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था। इसलिए इसे देवी लक्ष्मी के आगमन का दिन माना जाता है।
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खीर को सुबह प्रसाद के रूप में लें
मां लक्ष्मी के स्वागत की विशेष तैयारियों के साथ इन खास उपायों को करने से सबकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शरद पूर्णिमा की रात चावल से बनी खीर को छलनी से ढककर खुले आसमान में रखना चाहिए। दूध, चावल, चीनी इनका संबंध चांद और देवी लक्ष्मी से है। इस खीर को अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए। पौराणिक मान्यता है कि इस खीर में अमृत का अंश होता है जो आरोग्य सुख प्रदान करता है। इसलिए स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिए शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाना चाहिए। यह भी पढ़ें– जिला कारागार में बनी पोशाकों को पहनेंगे भगवान बाके बिहारी लाल
रात में जागरण करें
आर्थिक सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए शास्त्रों में पूर्णिमा की रात को जागरण करने का विधान बताया गया है। शरद पूर्णिता को शयन किए बिना भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान करना चाहिए। यही कारण है कि इसे को-जागृति यानी कौ’न जाग रहा’ की रात भी कहा गया है। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए। यह भी पढ़ें– नानाजी देशमुख: उत्तर प्रदेश में प्रचारक के तौर पर इस शहर से सफर किया शुरू, कहलाए आधुनिक चाणक्य
गुप्त उपाय
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की कृपा सब पर बनी रहे, ऐसी कामना करते हुए मां को उनकी प्रिय 5 वस्तुओं का भोग लगाएं और फिर खुद खाएं और सभी को खिलाएं। ये पांच वस्तुएं हैं- खीर, मखाना, दही, पान और बताशा। ये गुप्त उपाय अवश्य करना चाहिए।