शिवलिंग में होता है भगवान का आगमन
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन जरूर करना चाहिए। ये माता पार्वती और शिव का संयुक्त रूप माना जाता है। मान्यता है कि जहां-जहां भी शिवलिंग स्थापित है, महाशिवरात्रि के दिन उस स्थान पर भगवान शिव और पार्वती का आगमन होता है।
ज्योतिषाचार्य का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन जरूर करना चाहिए। ये माता पार्वती और शिव का संयुक्त रूप माना जाता है। मान्यता है कि जहां-जहां भी शिवलिंग स्थापित है, महाशिवरात्रि के दिन उस स्थान पर भगवान शिव और पार्वती का आगमन होता है।
नरक से मिलती मुक्ति
इसके अलावा महाशिवरात्रि का व्रत रखने के अनेकों लाभ हैं। इससे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है। महाशिवरात्रि का व्रत मनुष्य को नरक से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। यदि कुंवारी लड़कियां इस व्रत को रहें तो उन्हें योग्य वर प्राप्त होता है। सुहागिन स्त्रियां भी शिवरात्रि के दिन व्रत रखती हैं। ऐसा करने से उनके पति का जीवन और स्वास्थ्य हमेशा अच्छा बना रहता है। वहीं पुरुषों को महाशिवरात्रि पर व्रत रखने से व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।
इसके अलावा महाशिवरात्रि का व्रत रखने के अनेकों लाभ हैं। इससे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है। महाशिवरात्रि का व्रत मनुष्य को नरक से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। यदि कुंवारी लड़कियां इस व्रत को रहें तो उन्हें योग्य वर प्राप्त होता है। सुहागिन स्त्रियां भी शिवरात्रि के दिन व्रत रखती हैं। ऐसा करने से उनके पति का जीवन और स्वास्थ्य हमेशा अच्छा बना रहता है। वहीं पुरुषों को महाशिवरात्रि पर व्रत रखने से व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।
जानें पूजन विधि
सुबह स्नान करके शिवलिंग के समक्ष व्रत का संकल्प लें। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद से अभिषेक करें। पुष्प, बेलपत्र, धतूरा और बेर आदि चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करें। शिवस्तुति व शिवस्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए। सुबह व शाम के समय महादेव की आरती करें। हो सके तो चारों पहर शिव जी का पूजन करें। रात्रि में जितनी देर संभव हो, जागरण कर भगवान का मनन करें।
सुबह स्नान करके शिवलिंग के समक्ष व्रत का संकल्प लें। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद से अभिषेक करें। पुष्प, बेलपत्र, धतूरा और बेर आदि चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर मंत्र का जाप करें। शिवस्तुति व शिवस्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए। सुबह व शाम के समय महादेव की आरती करें। हो सके तो चारों पहर शिव जी का पूजन करें। रात्रि में जितनी देर संभव हो, जागरण कर भगवान का मनन करें।