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मामूली नहीं है रोज खर्राटे लेने की समस्या, लापरवाही की तो भुगतनी पड़ सकती बड़ी परेशानी

locationआगराPublished: Aug 18, 2017 12:04:00 pm

Submitted by:

suchita mishra

इस समस्या का लंबे समय तक इलाज न होने पर हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

Snore Problem

Snore

आगरा। आजकल खर्राटे की समस्या बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक देखने को मिल जाती है। यदि ऐसा कभी कभार होता है तो जुकाम या किसी अन्य कारण से हो सकता है। इसमें परेशानी की बात नहीं है। लेकिन अगर खर्राटे रोज आते हैं तो एक बार स्लीप टेस्ट जरूर करवाएं क्योंकि ये ओएसए यानी आॅब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया हो सकता है। ओएसए सांस का रोग है। इसमें सोते समय व्यक्ति की सांस रुक जाती है और जागते ही सांस वापस आ जाती है। ऐसा बार—बार होने से व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती जिससे सारा दिन उसे आलस आता रहता है साथ ही स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। सांस रोग विशेषज्ञ डॉ निष्ठा सिंह के मुताबिक लंबे समय तक इस समस्या का इलाज न मिलने पर व्यक्ति को हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, हाई बीपी, डायबिटीज और लिवर सम्बन्धी बीमारियां भी हो सकती हैं। डॉ निष्ठा सिंह से जानते हैं इसके लक्षण, पहचान और उपाय के बारे में—
सामने आते ये लक्षण

— खर्राटों की इतनी तेज आवाज जो दूसरों की नींद में खलल डाले।
— खर्राटों के बीच सांस घुटने की आवाज।
— झटके के साथ शरीर के अंगों का हिलना।
— बेचैनी के साथ करवट बदलना।
— खर्राटों का रुक—रुक कर आना।
— जागने के बाद सिर में भारीपन
— मुंह में सूखापन होना
— चिड़चिड़ापन और याददाश्त कमजोर होना
किनको ज्यादा खतरा
अधिक वजन वाले लोग, जिनका जबड़ा छोटा हो, ऐसे बच्चे जिनके टॉन्सिल व एडीनॉयड बढ़े हों, ऐसे लोगों में रोग की होने की आशंका अधिक होती है।

क्या करें
उपरोक्त लक्षण दिखने पर स्लीप टेस्ट करवाएं। स्लीप टेस्ट पॉली सोनोग्राफी मशीन से किया जाता है। प्रक्रिया में पूरी रात का समय लगता है। टेस्ट के दौरान मरीज के सिर, चेहरे, सीने, पैरों आदि में करीब 10 से 12 लीड लगा दी जाती हैं। टेस्ट के दौरान ब्रेन का ईईजी, हार्ट का ईसीजी, मांसपेशियों का ईएमजी, सांस का वेग और खर्राटों का मापन किया जाता है। इसके आधार पर विशेषज्ञ निर्धारित करते हैं कि मरीज को ओएसए है या नहीं।
यदि रिपोर्ट पॉजिटिव हो तो…
— वजन कम करें।
— खाने में फल—सलाद अधिक लें। चिकने व गरिष्ठ भोजन से परहेज करें।
— सिगरेट—शराब से पूरी तरह परहेज करें।
— यदि सीधे सोते हैं तो करवट लेकर सोएं। साथ ही पीछे की ओर तकिया लगाकर सोएं।
— सीपैप मशीन का प्रयोग करें।
— विशेषज्ञ की दी हुई दवाओं व निर्देशों का पालन करें।
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