सामने आते ये लक्षण — खर्राटों की इतनी तेज आवाज जो दूसरों की नींद में खलल डाले।
— खर्राटों के बीच सांस घुटने की आवाज।
— झटके के साथ शरीर के अंगों का हिलना।
— बेचैनी के साथ करवट बदलना।
— खर्राटों का रुक—रुक कर आना।
— जागने के बाद सिर में भारीपन
— मुंह में सूखापन होना
— चिड़चिड़ापन और याददाश्त कमजोर होना
— खर्राटों के बीच सांस घुटने की आवाज।
— झटके के साथ शरीर के अंगों का हिलना।
— बेचैनी के साथ करवट बदलना।
— खर्राटों का रुक—रुक कर आना।
— जागने के बाद सिर में भारीपन
— मुंह में सूखापन होना
— चिड़चिड़ापन और याददाश्त कमजोर होना
किनको ज्यादा खतरा
अधिक वजन वाले लोग, जिनका जबड़ा छोटा हो, ऐसे बच्चे जिनके टॉन्सिल व एडीनॉयड बढ़े हों, ऐसे लोगों में रोग की होने की आशंका अधिक होती है। क्या करें
उपरोक्त लक्षण दिखने पर स्लीप टेस्ट करवाएं। स्लीप टेस्ट पॉली सोनोग्राफी मशीन से किया जाता है। प्रक्रिया में पूरी रात का समय लगता है। टेस्ट के दौरान मरीज के सिर, चेहरे, सीने, पैरों आदि में करीब 10 से 12 लीड लगा दी जाती हैं। टेस्ट के दौरान ब्रेन का ईईजी, हार्ट का ईसीजी, मांसपेशियों का ईएमजी, सांस का वेग और खर्राटों का मापन किया जाता है। इसके आधार पर विशेषज्ञ निर्धारित करते हैं कि मरीज को ओएसए है या नहीं।
अधिक वजन वाले लोग, जिनका जबड़ा छोटा हो, ऐसे बच्चे जिनके टॉन्सिल व एडीनॉयड बढ़े हों, ऐसे लोगों में रोग की होने की आशंका अधिक होती है। क्या करें
उपरोक्त लक्षण दिखने पर स्लीप टेस्ट करवाएं। स्लीप टेस्ट पॉली सोनोग्राफी मशीन से किया जाता है। प्रक्रिया में पूरी रात का समय लगता है। टेस्ट के दौरान मरीज के सिर, चेहरे, सीने, पैरों आदि में करीब 10 से 12 लीड लगा दी जाती हैं। टेस्ट के दौरान ब्रेन का ईईजी, हार्ट का ईसीजी, मांसपेशियों का ईएमजी, सांस का वेग और खर्राटों का मापन किया जाता है। इसके आधार पर विशेषज्ञ निर्धारित करते हैं कि मरीज को ओएसए है या नहीं।
यदि रिपोर्ट पॉजिटिव हो तो…
— वजन कम करें।
— खाने में फल—सलाद अधिक लें। चिकने व गरिष्ठ भोजन से परहेज करें।
— सिगरेट—शराब से पूरी तरह परहेज करें।
— यदि सीधे सोते हैं तो करवट लेकर सोएं। साथ ही पीछे की ओर तकिया लगाकर सोएं।
— सीपैप मशीन का प्रयोग करें।
— विशेषज्ञ की दी हुई दवाओं व निर्देशों का पालन करें।
— वजन कम करें।
— खाने में फल—सलाद अधिक लें। चिकने व गरिष्ठ भोजन से परहेज करें।
— सिगरेट—शराब से पूरी तरह परहेज करें।
— यदि सीधे सोते हैं तो करवट लेकर सोएं। साथ ही पीछे की ओर तकिया लगाकर सोएं।
— सीपैप मशीन का प्रयोग करें।
— विशेषज्ञ की दी हुई दवाओं व निर्देशों का पालन करें।