दो मई को होनी है शादी
शहीद देवेन्द्र बहन की शादी की तैयारियों में लगा था। 15 दिन पहले वह गांव नगला बिंदु आया था। जहां उसने अपने दोस्त श्री भगवान से बहन की शादी और नौकरी को लेकर विस्तृत चर्चा की थी। शहीद के दोस्त ने बताया कि देवेन्द्र 15 दिन पहले गांव आया था। तब वह हलवाई, टैंट और दहेज के सामान की तैयारियां करके गया था। उन्हें क्या पता था कि वह इंतजाम करके जा रहा है कि फिर वापस लौटकर नहीं आएगा। पिता की इकलौता बेटा होने के कारण उसके कंधे पर बहन की शादी की जिम्मेदारी थी। एक माह पूर्व ही उसने बहन की गोद भराई की रस्म पूरी कराई थी। शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए आस—पास क्षेत्र के सैकड़ों लोगों की भीड़ अंतिम दर्शन को एकत्रित हो गई। गमगीन माहौल में शव का अंतिम संस्कार किया गया।
शहीद देवेन्द्र बहन की शादी की तैयारियों में लगा था। 15 दिन पहले वह गांव नगला बिंदु आया था। जहां उसने अपने दोस्त श्री भगवान से बहन की शादी और नौकरी को लेकर विस्तृत चर्चा की थी। शहीद के दोस्त ने बताया कि देवेन्द्र 15 दिन पहले गांव आया था। तब वह हलवाई, टैंट और दहेज के सामान की तैयारियां करके गया था। उन्हें क्या पता था कि वह इंतजाम करके जा रहा है कि फिर वापस लौटकर नहीं आएगा। पिता की इकलौता बेटा होने के कारण उसके कंधे पर बहन की शादी की जिम्मेदारी थी। एक माह पूर्व ही उसने बहन की गोद भराई की रस्म पूरी कराई थी। शहीद के अंतिम दर्शन करने के लिए आस—पास क्षेत्र के सैकड़ों लोगों की भीड़ अंतिम दर्शन को एकत्रित हो गई। गमगीन माहौल में शव का अंतिम संस्कार किया गया।