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कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल का एससी आयोग के चेयरमैन पर हमला, बसपा नेता से मिलकर साजिश का आरोप

locationआगराPublished: Jan 25, 2019 11:58:21 pm

‘केन्द्रीय एससी आयोग ने धनगरों की वंशबेल के भविष्य से किया खिलवाड़, कठेरिया ने बसपा नेता बोधी के साथ मिलकर धनगर को धनगड़ बताया।’

SP Singh Baghel

कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल का एससी आयोग के चेयरमैन पर हमला, बसपा नेता से मिलकर साजिश का आरोप

आगरा। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने एससी आयोग के चेयरमैन रामशंकर को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि एसपी सिंह बघेल के विरोध के चक्कर में एससी आयोग के एक आदेश ने पूरे समाज की वंशबेल का नुकसान करने का काम किया है। वहीं उनके साथ इस प्रेसवार्ता में मौजूद राष्ट्रीय धनगर महासंघ के उपाध्यक्ष निरंजन सिंह धनगर ने सीधे कठेरिया पर वार करते हुए कहा कि धनगरों के विरोध के चलते उनका अट्ठयानाश तय है।
धनगरों के खिलाफ आदेश किया जारी

प्रेसवार्ता की टाइमिंग ऐसी थी कि एससी आयोग के चेयरमैन रामशंकर कठेरिया पर सवाल उठने लाजिमी थे लेकिन पत्रकारों के सवाल करने से पहले ही प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने एससी आयोग के चेयरमैन का नाम लिए बिना इसी साल सितंबर माह में किए गये एक आदेश का हवाला देते हुए कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एससी आयोग ने सितम्बर माह में एक आदेश जारी कर धनगर को धनगड़ बता दिया था जबकि यूपी में कहीं भी किसी भी व्यक्ति ने धनगड़ जाति के लिए आवेदन ही नहीं किया। उन्होंने कहा कि धनगर और धनगड़ की स्पेलिंग में अंतर है। फिर भी धनगरों के खिलाफ आदेश जारी किया। जिसके लिए आगरा के ही एक दूसरे समाज के व्यक्ति से आयोग में एक अर्जी दाखिल करा दी।
एससी आयोग ने रची बघेल समाज को खत्म करने की कोशिश’

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ने कहा कि एससी आयोग के पूर्व अध्यक्ष पीएल पूनिया ने पहले आदेश पारित किया था कि डीएचएएनजीएआर धनगर है धनगड़ नहीं। उन्होंने कहा कि एससी आयोग के चेयरमैन ने एसपीसिंह बघेल का नहीं पूरे समाज की वंशबेल को ही समाप्त करने का काम किया है। जब पत्रकारों ने एससी आयोग के चेयरमैन का नाम पूछा तो उन्होंने कहा कि आपलोग जानते हैं नहीं पता है तो गूगल पर नाम देख लीजिए।
नाम नहीं लेने कद पर नहीं पड़ता फर्क

पत्रकारों ने जब ये सवाल दागा कि गडकरी के कार्यक्रम में एससी आयोग के चेयरमैन ने नाम नहीं लिया तो उनका कहना था किसी के नाम नहीं लेने से किसी के कद और पद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। नेता का अपमान नेता तो भूल भी सकता है लेकिन समर्थक और अनुयायी उस अपमान को नहीं भूलते।
पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची बात

जब पत्रकारों ने ये सवाल पूछा कि आपका इरादा आगरा लोकसभा से चुनाव लड़ने का है उन्होंने सीधा जबाव नहीं देते हुए कहा कि वे लोकसभा के सात चुनाव लड़ चुके हैं। जिनके खिलाफ लड़े थे वे कोई छोटी हस्तियां नहीं थीं वे अखिलेश, डिंपल, अक्षय, राजबब्बर, बलराम सिंह यादव, रामवीर उपाध्याय, उपदेश चौहान खलीफा, प्रत्येन्द्र पाल सिंह पप्पू ओमपाल सिंह निडर जैसों के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। वे चुनाव लड़ने से डरते नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वे पूरे प्रकरण से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी अवगत करा चुके हैं।
‘बसपा नेता से मिलकर किया अन्याय’

प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने तो एससी आयोग के चेयरमैन का नाम नहीं लिया लेकिन प्रेसवार्ता में मौजूद राष्ट्रीय धनगर महासंघ के उपाध्यक्ष निरंजन सिंह धनगर ने पहले प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया फिर सर्टिफिकेट को उलझाने वाले आदेश को दिखाकर उन्होंने एससी आयोग के चेयरमैन रामशंकर कठेरिया पर सीधा हमला बोला, उन्होंने कहा कि कठेरिया ने बसपा के श्यामप्रकाश बोधी से मिलकर धनगर समाज के खिलाफ अन्याय किया है। धनगरों के साथ जब बसपा ने अन्याय किया तो चुनाव में बसपा का सत्यानाश हो गया। अब कठेरिया का अट्ठयानाश तय है। निरंजन धनगर जब अधिक आक्रामक हुए तो कैबिनेट मंत्री ने उन्हें रोक दिया।
विधायक और सांसद भी हैं कठेरिया से नाखुश

आपको बता दें कि धनगर सर्टिफिकेट को लेकर केन्द्रीय एससी आयोग की भूमिका को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। कैबिनेट मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को पाल बघेल धनगर समाज का नेता माना जाता है, वे जिस दल में भी रहे हैं वह दल उन्हें बतौर स्टार प्रचारक प्रदेश में ही नहीं समूचे देश में प्रचार के लिए भेजता रहा है। यूपी में हर विधानसभा सीट पर पाल बघेल और धनगर समाज की मतदाता संख्या प्रभावी भूमिका निभाती है। ऐसा माना जाता है कि आगरा लोकसभा ही नहीं समूचे प्रदेश के पाल बघेल धनगर समाज प्रोफेसर बघेल के इशारे पर मतदान करता है। ऐसे समय में उनकी नाराजगी सांसद कठेरिया ही नहीं भाजपा को भी भारी पड़ सकती है। यहां ये भी काबिले गौर है कि पार्टी विद द डिफरेंस का नारा देने वाली भाजपा में दरार की खबरों का केन्द्र आगरा के सांसद रहे हैं। मामला चाहे सांसद चौधरी बाबूलाल का हो या फिर विधायक जगन, योगेन्द्र या फिर रामप्रताप सिंह चौहान का, इस बार कैबिनेट मंत्री का खुलेतौर पर मोर्चा खोलना भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
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