आगरा

उत्तर प्रदेश में बाल श्रमिकों के इन आंकड़ों ने उड़ाई अधिकारियों की नींद, खतरनाक काम में घुट रहा था बचपन

आगरा के साथ मथुरा, फिरोजाबाद एवं जनपद मैनपुरी में बाल श्रमिकों को चिन्हित करने के लिए चलाया गया विशेष अभियान।

आगराJul 07, 2018 / 07:53 pm

धीरेंद्र यादव

आगरा। बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार काफी प्रयास कर रही है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बयां करते हैं। इन आंकड़ों की हकीकत उस वक्त सामने आई, जब उपश्रमायुक्त ने उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर 20 जून से 5 जुलाई तक बाल श्रमिकों के चिन्हीकरण के लिए विशेष अभियान चलाया।
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विशेष अभियान में 118 बाल श्रमिक मिले
उप श्रम आयुक्त धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि मुख्य सचिव उप्र शासन के निर्देशानुसार 20 जून से 05 जुलाई 2018 तक बाल श्रमिकों के चिन्हीकरण हेतु आगरा के साथ मथुरा, फिरोजाबाद एवं जनपद मैनपुरी में अभियान चलाया गया। बाल श्रम अभियान के दौरान जनपद आगरा में 50 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान 06 बाल श्रमिक खतरनाक प्रक्रिया के उद्योगों में तथा 53 बाल श्रमिक गैर खतरनाक प्रक्रिया के उद्योगों में कार्यरत पाए गए। जनपद मथुरा में 17 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरा 06 बाल श्रमिक खतरानाक प्रक्रिया के उद्योगों में तथा 14 बाल श्रमिक गैर खतरनाक प्रक्रिया के उद्योगों में कार्यरत पाए गए। जनपद फिरोजाबाद में 20 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान 02 बाल श्रमिक खतरनाक प्रक्रिया के उद्योगों में तथा 34 बाल श्रमिक गैर खतरनाक प्रक्रिया के उद्योगों में कार्यरत पाये गये तथा जनपद मैनपुरी में 03 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान 03 बाल श्रमिक गैर खतरनाक प्रक्रिया के उद्योगों में कार्यरत पाये गये। इस प्रकार 90 प्रतिष्ठानों पर निरीक्षण की कार्रवाई करते हुए श्रम प्रर्वतन अधिकारियों की संयुक्त टीमों के द्वारा आगरा क्षेत्र में 14 बाल श्रमिक खतरनाक प्रक्रिया में तथा 104 बाल श्रमिक गैर खतरनाक प्रक्रिया कुल 118 बाल श्रमिक में चिन्हित किया गया है। चिन्हित बाल श्रमिकों का शैक्षिक, आर्थिक पुनर्वासन कराये जाने की कार्रवाई की जा रही है। साथ ही दोषी सेवायोजकों के विरूद्व नियमानुसार विधिक कार्रवाई की जाएगी।
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ये है नियम
बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 संशोधित अधिनियम 2016 के अन्तर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों का नियोजन पूर्णतः निषिद्व किया गया है तथा 14 से 18 वर्ष तक की आयु वाले बच्चे भी बाल एवं किशोर श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम 1986 संशोधित अधिनियम 2016 के अन्तर्गत आते हैं। इस अधिनियम के अन्तर्गत बाल श्रमिकों का नियोजन करने वाले दोषी सेवायोजकों से सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार 20 हजार रूपये प्रति बाल श्रमिक की दर से वसूली किये जाने का प्रावधान है। इसक साथ ही 6 माह से 2 वर्ष तक कारावास से दण्डित करने का प्रावधान है।
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