यहां से शुरू हुई कहानी
सत्यपाल सिंह बघेल यानि प्रो. एसपी सिंह बघेल उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा के हैं। इनके पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में तैनात थे। एसपी सिंह बघेल का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित यशवंतराव होल्कर अस्पताल में हुआ। पिता रामभरोसे खरगौन से रिटायर हुए। इसलिए प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा सभी मध्यप्रदेश में ही हुई। उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती होने के बाद एसपी सिंह बघेल को पहली अहम जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का सुरक्षागार्ड बनने की मिली।
सत्यपाल सिंह बघेल यानि प्रो. एसपी सिंह बघेल उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा के हैं। इनके पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में तैनात थे। एसपी सिंह बघेल का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित यशवंतराव होल्कर अस्पताल में हुआ। पिता रामभरोसे खरगौन से रिटायर हुए। इसलिए प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा सभी मध्यप्रदेश में ही हुई। उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा में सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती होने के बाद एसपी सिंह बघेल को पहली अहम जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का सुरक्षागार्ड बनने की मिली।
1989 में आये मुलायम के संपर्क में
1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद बघेल मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा में शामिल हो गए, लेकिन अपनी निडरता, मेहनत और ईमानदारी के बल पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव का भी दिल जीत लिया। मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1998 में पहली बार उतारा और वह जीते। उसके बाद दो बार सांसद चुने गए। 2010 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। साथ ही राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी दी। 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के सामने चुनाव लड़े। हालांकि वह यह चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना गए। बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचार के रूप में भूमिका निभाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निकट माने जाते हैं। पार्टी ने ताकतवार सांसद और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कठेरिया का टिकट काटकर एसपी सिंह बघेल को चुनाव लड़ाया।
1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद बघेल मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा में शामिल हो गए, लेकिन अपनी निडरता, मेहनत और ईमानदारी के बल पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव का भी दिल जीत लिया। मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1998 में पहली बार उतारा और वह जीते। उसके बाद दो बार सांसद चुने गए। 2010 में बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। साथ ही राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी दी। 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के सामने चुनाव लड़े। हालांकि वह यह चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना गए। बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचार के रूप में भूमिका निभाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के निकट माने जाते हैं। पार्टी ने ताकतवार सांसद और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रामशंकर कठेरिया का टिकट काटकर एसपी सिंह बघेल को चुनाव लड़ाया।
योगी की टीम में हुये शामिल
विधानसभा चुनाव 2017 में टूंडला सुरक्षित सीट से भाजपा विधायक बने। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में शामिल किया गया। साफ शब्दों में कहा जाए, तो कैबिनेट मिनिस्टर बनने के बाद एसपी सिंह बघेल का राजनैतिक जीवन फिर चमकने लगा। इसके बाद एक बार फिर आगरा से उन्हें भाजपा ने मौका दिया, तो यहां से भी प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बड़ी जीत दर्ज की है।
सरधना में है ससुराल
छात्रनेता डॉ. राजकुमार सांगवान ने बताया कि एसपी सिंह बघेल जब एलआईयू में छात्रविंग देखते थे तो मेरठ कॉलेज में उनसे मुलाकात हुई। बाद में उनकी दोस्ती हो गई। कुछ दिन सरधना में तैनाती रही। सरधना निवासी मधु से एसपी सिंह बघेल की शादी हुई। लखनऊ में मुलायम सिंह से मिलने के लिए भी विधायकों और अन्य नेताओं को पहले एसपी सिंह बघेल से मिलना पड़ता था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मेरठ में वह सब इंस्पेक्टर के पद पर करीब ढाई साल तैनात रहे थे।
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