बुधवार रात सात बजे आंधी के साथ तूफान और बारिश में पेड़ और टिनशेड उखड़ने लगे, तेज बारिश हवा के साथ तेज आवाज करती हुई लोगों को डराने लगी। तूफान में पिनाहट का पेंटून पुल बह गया। तूफान के चलते जनपद में करीब 70 हजार हेक्टेयर में गेंहू की फसल को भारी नुकसान पहुंचा। अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है कि करीब 40 हजार हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल के बर्बाद हुई है। गेहूं काटने के बाद खेत में डला हुआ था, इसे थ्रेशर से निकाला जाना था, इससे पहले ही तबाही का तूफान आ गया।
तूफान के चलते शहर में करीब साढ़ सौ करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। शहर की दुकानों में जलभराव हो गया। कई दुकानों का सामान सड़कों पर आ गया।
तूफान आने के बाद लोगों की जुबान पर एक ही प्रतिक्रिया थी कि ऐसा तूफान राजीव गांधी की मौत पर आया था। मौसम वैज्ञानिक पवन सिसोदिया का कहना है कि 21 मई 1991 को जो तूफान आया था उसकी रफ्तार भी बीती रात आए तूफान की रफ्तार के करीब थी। मौसम अचानक बदल गया है। रात के तापमान में भारी गिरावट दर्ज हुई है। शहर में बीती रात करीब 35 मिमी बारिश हुई है। गुरुवार सुबह भी छींटें गिरने से मौसम बदलाव देखा गया।