कैसे दें सूर्य को अर्घ्य
ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक शुक्ला का कहना है कि पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। प्रतिदिन प्रात:काल में तांबे के लोटे में जललेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक शुक्ला का कहना है कि पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भगवान सूर्य के अर्घ्यदान का विशेष महत्व बताया गया है। प्रतिदिन प्रात:काल में तांबे के लोटे में जललेकर और उसमें लाल फूल, चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इस अर्घ्यदान से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।
सूर्य पूजा में करें इन नियमों का पालन – प्रतिदिन सूर्योदय से पहले ही शुद्ध होकर और स्नान से कर लेना चाहिए – नहाने के बाद सूर्यनारायण को तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें
– संध्या के समय फिर से सूर्य को अर्घ्य देकर प्रणाम करें – सूर्य के मंत्रों का जाप श्रद्धापूर्वक करें – आदित्य हृदय का नियमित पाठ करें – स्वास्थ्य लाभ की कामना, नेत्र रोग से बचने एवं अंधेपन से रक्षा के लिए ‘नेत्रोपनिषद्’ का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए।
– रविवार को तेल, नमक नहीं खाना चाहिए तथा एक समय ही भोजन करना चाहिए। तुलसी पर रविवार को ना जलाएं दीपक
तुलसी का पौधा किचन के पास रखने से घर के सदस्यों में आपसी सामंजस्य बढ़ता है। पूर्व दिशा में यदि खिड़की के पास तुलसी का पौधा रखा जाए तो आपकी संतान आपका कहना मानने लगेगी। यदि आपकी कन्या का विवाह नहीं हो रहा हो तो तुलसी के पौधे को दक्षिण-पूर्व में रखकर उसे नियमित रूप से जल अर्पण करें। इस उपाय से जल्द ही योग्य वर की प्राप्ति होगी।
तुलसी का पौधा किचन के पास रखने से घर के सदस्यों में आपसी सामंजस्य बढ़ता है। पूर्व दिशा में यदि खिड़की के पास तुलसी का पौधा रखा जाए तो आपकी संतान आपका कहना मानने लगेगी। यदि आपकी कन्या का विवाह नहीं हो रहा हो तो तुलसी के पौधे को दक्षिण-पूर्व में रखकर उसे नियमित रूप से जल अर्पण करें। इस उपाय से जल्द ही योग्य वर की प्राप्ति होगी।
दु: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य,दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति,व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।
इस शिव स्तुति का अर्थ है कि संपूर्ण जगत के स्वामी भगवान शिव मेरे सभी बुरे सपनों, अपशकुन, दुर्गति, मन की बुरी भावनाएं, भूखमरी, बुरी लत, भय, चिंता और संताप, अशांति और उत्पात, ग्रह दोष और सारी बीमारियों से रक्षा करे, धार्मिक मान्यता है कि शिव, अपने भक्त के इन सभी सांसारिक दु:खों का नाश और सुख की कामनाओं को पूरा करते हैं। वहीं तुलसी के पौधे पर रविवार को दीपक नहीं जलाना चाहिए।
इस शिव स्तुति का अर्थ है कि संपूर्ण जगत के स्वामी भगवान शिव मेरे सभी बुरे सपनों, अपशकुन, दुर्गति, मन की बुरी भावनाएं, भूखमरी, बुरी लत, भय, चिंता और संताप, अशांति और उत्पात, ग्रह दोष और सारी बीमारियों से रक्षा करे, धार्मिक मान्यता है कि शिव, अपने भक्त के इन सभी सांसारिक दु:खों का नाश और सुख की कामनाओं को पूरा करते हैं। वहीं तुलसी के पौधे पर रविवार को दीपक नहीं जलाना चाहिए।