रामजन्मभूमि न्यास को जमीन सौंपने के खिलाफ हुआ ये बड़ा हिन्दू सगठन मची हड़कंप
आगरा।अयोध्या में राम मंदिर विवाद में सर्वोच्च न्यायालय छह मार्च को मध्यस्थता के संबंध में फैसला सुनाएगा। हिन्दू महासभा को छोड़कर सभी पक्षकार मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। हर कोई बातचीत से समस्या का समाधान चाहता है। लोकसभा चुनाव से पूर्व राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है, इस पर हर किसी की निगाह लगी हुई है। लोगों ने प्रतिक्रिया भी दी है।
राम मंदिर के लिए सरकार कानून बनाए अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद की युवा शाखा राष्ट्रीय बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है। अच्छा होता कि नरेन्द्र मोदी की सरकार संसद में कानून बनाकर राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त करती है। सरकार ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है, जबकि सवर्णों को आरक्षण और अनुसूचित जाति-जनजाति को आरक्षण के लिए कुछ भी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को फैसला राम मंदिर के पक्ष में ही करना चाहिए क्योंकि हर दृष्टि से सिद्ध हो चुका है कि अय़ोध्या में कथित विवादित स्थल पर राम मंदिर ही था।
पहले भी हो चुका है प्रयास विश्व हिन्दू परिषद के बृज प्रांत उपाध्यक्ष विनोद गोयल का कहना है कि राम मंदिर का विवाद जितनी जल्दी हो जाए, उतना ही अच्छा है। देखते हैं कि मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला करता है। आपसी बातचीत से समस्या का हल करने का प्रयास पहले भई हो चुका है, लेकिन होता कुछ नहीं है। समाधान एक ही है कि अयोध्या में सिर्फ राम मंदिर बने और कुछ नहीं। पूरा हिन्दुस्तान राम मंदिर चाहता है।
आमजन अयोध्या में राम मंदिर ही चाहता है वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार गुप्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर सबकी निगाह लगी हुई है। मध्यस्थता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा, वह नजीर बनेगा। उन्होंने कहा कि देश का आमजन अयोध्या में राम मंदिर ही चाहता है।