इसलिए नाराज हैं सवर्ण
दरअसल 21 मार्च को Supreme Court ने SC-ST Act के दुरुपयोग की बात को मानते हुए नई गाइड लाइंस जारी की थीं। नई गाइडलाइंस के मुताबिक एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत मुकदमा दर्ज करने के लिए मना किया गया था। इसको लेकर पहले डीएसपी लेवल के पुलिस अफसर द्वारा सात दिनों के अंदर जांच की बात कही गई थी। साथ ही ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारी द्वारा अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने की बात थी। निर्दोष लोगों को बचाने के लिए सर्वोच्च अदालत ने ये निर्देश जारी किए थे।
दरअसल 21 मार्च को Supreme Court ने SC-ST Act के दुरुपयोग की बात को मानते हुए नई गाइड लाइंस जारी की थीं। नई गाइडलाइंस के मुताबिक एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत मुकदमा दर्ज करने के लिए मना किया गया था। इसको लेकर पहले डीएसपी लेवल के पुलिस अफसर द्वारा सात दिनों के अंदर जांच की बात कही गई थी। साथ ही ऐसे मामलों में सरकारी कर्मचारी द्वारा अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने की बात थी। निर्दोष लोगों को बचाने के लिए सर्वोच्च अदालत ने ये निर्देश जारी किए थे।
लेकिन इन निर्देशों से दलित भड़क गए और उन्होंने एससी/एसटी एक्ट को पहले की तरह बनाने की मांग करते हुए 2 अप्रेल को bharat band किया और देश भर में तमाम हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया। दलितों की नाराजगी से सरकार बैकफुट पर आ गई और उसने एक्ट में संशोधन कर इसे वापस इसके मूल स्वरूप में बहाल कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद से सवर्ण काफी नाराज हुए। उनका मानना है कि सरकार ने ऐसा करके सवर्णों के साथ गलत किया है। ये फैसला लोगों को लड़ाने वाला है। इस एक्ट के दुरुपयोग के कारण भविष्य में सवर्णों की पीड़ियां शोषित होंगी। लिहाजा एक्ट के पुन: संशोधन का विरोध करते हुए सवर्णों ने 6 सितंबर को भारत बंद का आवाह्न किया है। सवर्ण सुप्रीम कोर्ट के संशोधित एक्ट की मांग कर रहे हैं।