पंडित प्रमोद गौतम का कहना है कि चंद्र ग्रहण का ग्रह गोचर के अनुसार अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। 27 जुलाई को ही ग्रह गोचर में कुछ अशुभ परिवर्तन हो रहे हैं और इसी समय चंद्र ग्रहण लगने से इसका नकारात्मक प्रभाव बढ़ जाएगा। इसके प्रभाव से प्राकृतिक आपदा आने की संभावना बन सकती है। यह 15 जून 2011 के बाद पहला केंद्रीय चंद्रग्रहण होगा। 3.54 घंटे का यह चंद्रग्रहण इस सदी का सबसे लंंबा चंद्र ग्रहण होगा।
चन्द्र ग्रहण उत्तरा आषाढ़ और श्रवण नक्षत्र अर्थात मकर राशि में घटित होगा। ऐसे में जिनका जन्म नक्षत्र उत्तरा आषाढ़ है या श्रवण नक्षत्र है और जन्म राशि और लग्न राशि मकर है उनके लिए विशेष रूप से अशुभ फलकारक है। इस राशि के व्यक्तियों को चन्द्र ग्रहण के दौरान बचकर रहना चाहिए। गुरु पूर्णिमा को पडने वाला चन्द्र ग्रहण सदी का सबसे बड़ा चन्द्र ग्रहण होगा जो कि मकर राशि वालों के लिए सबसे ज्यादा घातक होगा। 26 अक्टूबर से मकर राशि पर ही चन्द्र ग्रहण द्रष्टिगोचर होगा गुरु पूर्णिमा के दिन, और मकर राशि पर शनि की साढ़े साती भी चल रही है। इसलिए ग्रहण के बाद आने वाले 15 से 20 दिनों तक मकर राशि वाले जातकों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
वैदिक व पौराणिक ग्रथों में ग्रहण के संदर्भ में कहा गया है कि ग्रहण काल में सौभाग्यवती स्त्रियों को सिर के नीचे से ही स्नान करना चाहिए। उन्हें अपने बालों को नहीं खोलना चाहिए, जिन्हें ऋतुकाल हो ऐसी महिलाओं को जल स्रोतों में स्नान नहीं करना चाहिए। उन्हे जल स्रोतों से बाहर स्नान करना चाहिए। सूतक व ग्रहण काल में देवमूर्ति को स्पर्श कतई नहीं करना चाहिए। ग्रहण काल में भोजन करना, अर्थात् अन्न, जल को ग्रहण नहीं करना चाहिए। सोना, सहवास करना, तेल लगाना तथा बेकार की बातें नहीं करना चाहिए। बच्चे, बूढ़े, रोगी और गर्भवती स्त्रियों को आवश्यकता के अनुसार खाने-पीने या दवाई लेने में दोष नहीं होता है। सावधानी-गर्भवती महिलाओं को होने वाली संतान व स्वयं के हित को देखते हुए यह संयम व सावधानी रखना जरूरी होता है कि, वह ग्रहण के समय में नोकदार जैसे सुई व धारदार जैसे चाकू आदि वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस समय उन्हें प्रसन्नता से रहते हुए भगवान के चरित्र को स्मरण करना चाहिए। रोना चिल्लाना, झगड़ना व अप्रसन्नता से बचना चाहिए। ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए लाल रंग वाले गेरू को पानी में मिलाकर उदरादि स्तनों में थोड़ा सा लगाना चाहिए।