मौलाना उजहेर आलम ने बताया कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता है। वो अमन चैन नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि कभी राम मंदिर, तो कभी बाबरी मस्जिद के नाम पर आपस में लड़ें। अब बात करें लश्कर-ए-तैयबा की, तो वो तो मुसलमान है ही नहीं, क्योंकि तमाम उलेमाओं ने कहा कि अमन और चैन की चाहत रखने वाला ही मुसलमान है और आतंकवादियों की सोच बिलकुल इसके विपरीत है।
मौलाना उजहेर आलम ने बताया कि आतंकवादी चाहते हैं, कि आर्थिक रूप से हम कमजोर हो जाएं और इसीलिए भारत की आमदनी का सबसे बड़ा स्त्रोत ताजमहल उनके निशाने पर है। उन्होंने बताया कि ताजमहल की टिकट को लेकर होने वाली आय को न जोड़ा जाए, फिर भी ताजमहल से होने वाली आय इतनी अधिक है, कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहद मजबूत करती है। विदेशी मेहमान ताज देखने के लिए हवाई जहाज से आते हैं, यहां खरीददारी करते हैं, होटलों में रुकते हैं, इससे सरकार को बड़ा फायदा होता है।
12 दिसंबर 2010 को आतंकवादियों के हमले की एक बड़ी साज़िश का खुलासा हुआ था। खबर थी कि ताजमहल आतंकियों के निशाने पर है। इसके लिए छह महीने के अदर लश्कर, इंडियन मुजाहिदीन और हूजी जैसे आतंकवादी संगठनों ने ताजमहल की रेकी किए जाने की जब जानकारी खुफिया एजेंसियों के हाथ लगी, तो ताजमहल की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया था।
मार्च 2017 में खबर आई कि ताजमहल आईएसआईएस के आतंकियों के निशाने पर है। इसकी जानकारी होने के बाद लखनऊ से लेकर आगरा तक अफरा तफरी रही। ताजमहल की सुरक्षा बढ़ा दी गई। सघन चेकिंग अभियान चलाया गया। जानकारी ये थी कि सोशल मीडिया के टेलीग्राम एप पर आईएसआईएस के अहवाल उम्मत मीडिया सेंटर की ओर से ताजमहल को टार्गेट के रूप में पेश करने का एक मैसेज प्रसारित किया गया था। इसकी जानकारी एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी को हुई तो उन्होंने तत्काल सघन चेकिंग अभियान के निर्देश दिए थे।