बदल दी स्कूल की सूरत
नाला बुढ़ान सैय्यद स्थित सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक राजीव वर्मा की बात करें, तो इनके स्कूल में जाने के बाद कोई भी ये नहीं कह सकता है, कि ये सरकारी स्कूल है। क्योंकि यहां का माहौल प्राइवेट स्कूल जैसा दिखाई देता है। अनुशासित बच्चे, क्लास में टीचर के साथ बच्चों के उठने, बैठने, बोलने का तरीका ही बता देता है, कि यहां के शिक्षक किस कदर इन बच्चों पर ध्यान दे रहे हैं। स्कूल में स्टॉफ कम है, सुविधाओं की बात की जाये, तो किसी प्राइवेट स्कूल की अपेक्षा बहुत मामूली सुविधायें हैं, लेकिन इस स्कूल के बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चों को भी पढ़ाई में पछाड़ सकते हैं। इस स्कूल में कई बच्चे तो ऐसे हैं, जिन्हें पहाड़े 30 तक रटे पड़े हैं। इसके साथ ही स्कूल में भी बेहद शानदार नजारा दिखाई देगा। चारों तरफ हरियाली है। हरियाली का मुख्य कारण स्कूल के शिक्षकों द्वारा किये जाने वाला पौधारोपण है।
नाला बुढ़ान सैय्यद स्थित सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक राजीव वर्मा की बात करें, तो इनके स्कूल में जाने के बाद कोई भी ये नहीं कह सकता है, कि ये सरकारी स्कूल है। क्योंकि यहां का माहौल प्राइवेट स्कूल जैसा दिखाई देता है। अनुशासित बच्चे, क्लास में टीचर के साथ बच्चों के उठने, बैठने, बोलने का तरीका ही बता देता है, कि यहां के शिक्षक किस कदर इन बच्चों पर ध्यान दे रहे हैं। स्कूल में स्टॉफ कम है, सुविधाओं की बात की जाये, तो किसी प्राइवेट स्कूल की अपेक्षा बहुत मामूली सुविधायें हैं, लेकिन इस स्कूल के बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चों को भी पढ़ाई में पछाड़ सकते हैं। इस स्कूल में कई बच्चे तो ऐसे हैं, जिन्हें पहाड़े 30 तक रटे पड़े हैं। इसके साथ ही स्कूल में भी बेहद शानदार नजारा दिखाई देगा। चारों तरफ हरियाली है। हरियाली का मुख्य कारण स्कूल के शिक्षकों द्वारा किये जाने वाला पौधारोपण है।
ये कहते हैं गुरु
शिक्षक राजीव वर्मा ने बताया कि बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ साथ वो ज्ञान भी देना जरूरी है, जो उन्हें वर्तमान परिवेश के काबिल बना सके। इसमें बहुत अधिक मुश्किल नहीं होती है। सुबह बच्चों को स्कूल में योगा कराया जाता है, इसका मूल उद्देश्य है, कि बच्चे स्वस्थ रहें। इसके साथ ही देश के महापुरुषों के बारे में जानकारी दी जाती है। साथ ही अनुशासन सिखाया जाता है। वहीं अध्यापिका निधी श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों को ऐसा माहौल देने की आवश्यकता है, कि वे खुद व खुद स्कूल आने के लिए आतुर हों और इसके लिए जरूरी है, कि एक गुरु अपने शिष्य को समझे।
शिक्षक राजीव वर्मा ने बताया कि बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ साथ वो ज्ञान भी देना जरूरी है, जो उन्हें वर्तमान परिवेश के काबिल बना सके। इसमें बहुत अधिक मुश्किल नहीं होती है। सुबह बच्चों को स्कूल में योगा कराया जाता है, इसका मूल उद्देश्य है, कि बच्चे स्वस्थ रहें। इसके साथ ही देश के महापुरुषों के बारे में जानकारी दी जाती है। साथ ही अनुशासन सिखाया जाता है। वहीं अध्यापिका निधी श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों को ऐसा माहौल देने की आवश्यकता है, कि वे खुद व खुद स्कूल आने के लिए आतुर हों और इसके लिए जरूरी है, कि एक गुरु अपने शिष्य को समझे।