प्रगतिशील इस किसान ने जैविक तरीके से तैयार की थाई एपल बेर की फसल, हर साल कमाता है लाखों
— उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में किसान हर वर्ष सर्दियों के मौसम में एपल बेर की फसल तैयार करता है और उसे बेचकर लाखों रुपए मुनाफा कमाता है।

आगरा। कौन कहता है कि खेती में नुकसान होता है। खेती करने का जज्बा हो तो इससे अच्छा मुनाफा कोई और हो नहीं सकता। फिरोजाबाद जिले की टूंडला तहसील के गांव चंडिका निवासी किसान सौदान सिंह पुत्र प्रसादीलाल मिसाल हैं उन लोगों के लिए तो खेती में नुकसान होने की बात करते हैं। हर वर्ष सर्दी के मौसम में यह किसान लाखों रुपए कमाता है।
घर के सामने करता है बेर की खेती
टूंडला तहसील के गांव चंडिका निवासी सौदान सिंह पुत्र प्रसादीलाल अपने घर के सामने खेती करते हैं। वह हर वर्ष थाई एपल बेर की खेती जैविक पद्धति से करते हैं। वह इसके लिए कैंचुए से खाद तैयार करते हैं। वह रासायनिक खादों का न प्रयोग करते हैं और न दूसरों को करने की सलाह देते हैं। उनके खेत में हो रही एपल बेर की खेती में एक—एक बेर सौ से डेढ़ सौ ग्राम का होता है। किसान ने बताया कि थाई एपल बेर की फसल सात महीने में तैयार होती है। वह चार साल से बेर की फसल कर रहे हैं और लाखों रुपए कमा चुके हैं। वह इस फसल के लिए पौधा बाड़मेर राजस्थान से लाए थे। इस बेर में पानी की मात्रा अधिक होती है। इस बेर को खाने के बाद खांसी की शिकायत नहीं होगी। यह बेर अन्य बेरों की अपेक्षा खाने में कहीं अधिक स्वादिष्ट होता है।
फरवरी में तैयार होगा बेर
किसान ने बताया कि फरवरी में यह बेर की फसल तैयार हो जाएगी। अभी इस पेड़ पर लगा एक बेर करीब 30 से 50 ग्राम का है लेकिन जैसे ही फरवरी के अंतिम सप्ताह में इस बेर की फसल तैयार हो जाएगी तब एक—एक बेर नींबू की तरह बड़ा हो जाएगा। उसके बाद इस फसल के बेर को बाजार में भेजा जाएगा। कुछ लोग उनके गांव से ही बेर खरीदकर ले जाते हैं। वह कई सालों से खेती कर रहे हैं इसलिए आस—पास के लोगों को यहां बेर की खेती की जानकारी है।
देश के विभिन्न कोनों में जाता है बेर
देश विदेश में इस बेर की अधिक मांग रहती है। उन्हें इस बेर को बेचने के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती। जैविक पद्धति से तैयार होने वाली इस फसल के लिए अलग से बाजार तैयार है। इस बेर को खरीदने के लिए पहले से डिमांड रहती है। वह दो साल से इस बेर की फसल को कर रहे हैं उन्हें इसमें लाखों रुपए का लाभ होता है।
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