वेदनादायक दृश्य
यमुना किनारे पर जहां से आंबेडकर पुल शुरू होता है, वहीं पर एत्माउद्दौला व्यू पॉइंट है। यहां की हालत खराब है। बाहर का व्यक्ति तो अंदर जाना पसंद भी नहीं करेगा। हम तो आगरा वाले हैं, सो कहीं भी चले जाते हैं। अंदर पहुंचे तो हृदय को वेदना हुई। यमुना में चारों ओर जमीन ही जमीन दिखाई दे रही है। थोड़ा सा पानी है तो काले रंग का। उसमें भी भैंसे स्नान कर रही हैं। सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश है कि नदी में किसी भी प्रकर का प्रदूषण नहीं किया जा सकता है। केन्द्र सरकार ने तो कानून बना रखा है कि नदी में थूकने पर भी जुर्माना है। न तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जा रहा है और न ही किसी को केन्द्रीय कानून का डर है।
यमुना किनारे पर जहां से आंबेडकर पुल शुरू होता है, वहीं पर एत्माउद्दौला व्यू पॉइंट है। यहां की हालत खराब है। बाहर का व्यक्ति तो अंदर जाना पसंद भी नहीं करेगा। हम तो आगरा वाले हैं, सो कहीं भी चले जाते हैं। अंदर पहुंचे तो हृदय को वेदना हुई। यमुना में चारों ओर जमीन ही जमीन दिखाई दे रही है। थोड़ा सा पानी है तो काले रंग का। उसमें भी भैंसे स्नान कर रही हैं। सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश है कि नदी में किसी भी प्रकर का प्रदूषण नहीं किया जा सकता है। केन्द्र सरकार ने तो कानून बना रखा है कि नदी में थूकने पर भी जुर्माना है। न तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया जा रहा है और न ही किसी को केन्द्रीय कानून का डर है।
रिवर कनेक्ट से कनेक्ट नहीं हो रहे लोग
यमुना के प्रति जनता को संवेदनशील बनाने के लिए नित्यप्रति यमुना की आरती की जाती है। शाम के समय कई लोग एकत्रित होते हैं और यमुना मैया की आरती कर पुण्य कमा रहे हैं। रिवर कनेक्ट के बैनर तले चल रहे इस अभियान से जनता कनेक्ट नहीं हुई है। पर्यावरण पर काम कर रहे समाजसेवी श्रवण कुमार सिंह का कहना है कि कभी न कभी तो लोग सोचेंगे, लेकिन डर है कि तब तक बहुत देर हो जाएगी। यमुना को बचाने के लिए बहुत कानून बन चुके हैं, लेकिन कुछ हुआ नहीं। जब तक जनता स्वयं आगे नहीं आएगी, तब तक स्थिति सुधरने वाली नहीं है।
यमुना के प्रति जनता को संवेदनशील बनाने के लिए नित्यप्रति यमुना की आरती की जाती है। शाम के समय कई लोग एकत्रित होते हैं और यमुना मैया की आरती कर पुण्य कमा रहे हैं। रिवर कनेक्ट के बैनर तले चल रहे इस अभियान से जनता कनेक्ट नहीं हुई है। पर्यावरण पर काम कर रहे समाजसेवी श्रवण कुमार सिंह का कहना है कि कभी न कभी तो लोग सोचेंगे, लेकिन डर है कि तब तक बहुत देर हो जाएगी। यमुना को बचाने के लिए बहुत कानून बन चुके हैं, लेकिन कुछ हुआ नहीं। जब तक जनता स्वयं आगे नहीं आएगी, तब तक स्थिति सुधरने वाली नहीं है।
क्या कहते हैं महापौर
महापौर नवीन जैन का कहना है कि यमुना आगरा के लिए जीननदायनी है। जल संस्थान यमुना जल पर भी निर्भर है। केन्द्र सरकार यमुना की स्वच्छता के लिए कठोर कदम उठा रही है। आगरा के स्तर पर जो बन पड़ेगा किया जाएगा। नगर आयुक्त को निर्देशित किया जा रहा है कि यमुना में भैंसों की आवाजाही बंद कराएं।
महापौर नवीन जैन का कहना है कि यमुना आगरा के लिए जीननदायनी है। जल संस्थान यमुना जल पर भी निर्भर है। केन्द्र सरकार यमुना की स्वच्छता के लिए कठोर कदम उठा रही है। आगरा के स्तर पर जो बन पड़ेगा किया जाएगा। नगर आयुक्त को निर्देशित किया जा रहा है कि यमुना में भैंसों की आवाजाही बंद कराएं।