चम्बल का जलस्तर भले ही कम हुआ हो लेकिन अभी भी नदी खतरे के निशान से ऊपर ही बह रही है। ग्रामीण जगह-जगह टापुओं पर हैं। बाढ़ में राशन पानी सब कुछ नष्ट हो गया है। सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जो भूखे पेट ही गुजारा कर रहे हैं। कई दिनों से पानी में घिरे होने के कारण लोग बीमार पड़ रहे हैं। बाढ़ के बीच फंसे लोग खुले आसमान के नीचे कभी धूप तो कभी बारिश में भीग रहे हैं, जो बीमारी का कारण बन रही है। जानवर भी पानी के बीच फंसे होने से बीमार हो रहे हैं। जिला मुख्यालय से दूरी अधिक होने की वजह से बुनियादी सुविधा नहीं मिल पा रही है।
कैम्प कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम
बाह, पिनाहट व जैतपुर सीएचसी की टीम जगह-जगह कैम्प कर रही है। बाढ़ से घिरे गांव में स्वास्थ्य कर्मी मरीजों का परीक्षण कर दवा उपलब्ध करा रहे हैं। सीएमओ डॉ. मुकेश कुमार वत्स के आदेश पर अन्य पीएचसी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को भी लगाया गया है। इसके बाद भी बीमार लोगों की संख्या के हिसाब से यह सुविधाएं काफी नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग को बाढ़ पीड़ितों के लिए व्यापक इन्तजाम करने की जरूरत है।