हाउसिंग लोन पर हुआ मंथन
उन्होंने हाउसिंग लोन पर बोलते हुए कहा कि भारत में हाउसिंग लोन 8-8.5 प्रतिशत पर प्राप्त होता है, जबकि यूएसए व यूए में यह मात्र 3-3.35 प्रतिशत तक है। भारत में हाउसिंग क्षेत्र से लगभग 8 फीसदी लोगों की रोजी रोटी चल रही है। स्मार्ट तरीके से काम किया जाए तो इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक लाया जा सकता है। यह भी स्मार्ट सिटी का एक पहली है। वहीं वहीं चंडीगढ़ के वक्ता जीत कुमार गुप्ता ने कहा कि भारत में गाड़ी को सड़क पर चलाने से कहीं ज्यादा उसकी पार्किंग की समस्या है। लंदन में कर्मचारियों से पूछा जाता है कि आपको प्रमोशन चाहिए या पार्किंग एरिया। लेकिन भारत में हर गली, हर सड़क पार्किंग है। यह समस्या तभी खत्म हो सकती है जब हम प्लानिंग फॉर व्हीकल नहीं बल्कि प्लानिंग फॉर पीपुल के नजरिए से सोचेंगे। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी में सिर्फ एरिया डवलपमेंट पर फोकस किया जा रहा है, प्लानिंग पर कोई बात नहीं हो रही। सुबोध शंकर प्रधानमंत्री आवास योजना पर बोलते हुए कहा कि योजना में एक हेक्टेअर में 600 मकान बनने है, यह घनत्व बहुत अधित है। इससे लोगों की जीवन शैली प्र प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एक हेक्टेअर में 80-90 मकान होने चाहिए। एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य शशि शिरोमणी ने पुराने शहर की खूबसूरती को नए अनियोजित तरीके से बनाए जा रहे निर्माण खत्म कर रहे हैं। ऐसिहासिक नगरी आगरा की पुरानी बस्तियों को स्लम कहकर ताजनगरी का मजाक हो रहा है। संचालन देविना अग्रवाल, सौरभ सक्सेना ने किया।
उन्होंने हाउसिंग लोन पर बोलते हुए कहा कि भारत में हाउसिंग लोन 8-8.5 प्रतिशत पर प्राप्त होता है, जबकि यूएसए व यूए में यह मात्र 3-3.35 प्रतिशत तक है। भारत में हाउसिंग क्षेत्र से लगभग 8 फीसदी लोगों की रोजी रोटी चल रही है। स्मार्ट तरीके से काम किया जाए तो इसे बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक लाया जा सकता है। यह भी स्मार्ट सिटी का एक पहली है। वहीं वहीं चंडीगढ़ के वक्ता जीत कुमार गुप्ता ने कहा कि भारत में गाड़ी को सड़क पर चलाने से कहीं ज्यादा उसकी पार्किंग की समस्या है। लंदन में कर्मचारियों से पूछा जाता है कि आपको प्रमोशन चाहिए या पार्किंग एरिया। लेकिन भारत में हर गली, हर सड़क पार्किंग है। यह समस्या तभी खत्म हो सकती है जब हम प्लानिंग फॉर व्हीकल नहीं बल्कि प्लानिंग फॉर पीपुल के नजरिए से सोचेंगे। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी में सिर्फ एरिया डवलपमेंट पर फोकस किया जा रहा है, प्लानिंग पर कोई बात नहीं हो रही। सुबोध शंकर प्रधानमंत्री आवास योजना पर बोलते हुए कहा कि योजना में एक हेक्टेअर में 600 मकान बनने है, यह घनत्व बहुत अधित है। इससे लोगों की जीवन शैली प्र प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एक हेक्टेअर में 80-90 मकान होने चाहिए। एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य शशि शिरोमणी ने पुराने शहर की खूबसूरती को नए अनियोजित तरीके से बनाए जा रहे निर्माण खत्म कर रहे हैं। ऐसिहासिक नगरी आगरा की पुरानी बस्तियों को स्लम कहकर ताजनगरी का मजाक हो रहा है। संचालन देविना अग्रवाल, सौरभ सक्सेना ने किया।
प्रमाणपत्र देकर किया सम्मानित
जनरल बॉडी की मीटिंग यूपी आर्केटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव द्विवेदी, संरक्षक योगेश चंद्रा, सचिव एनके अग्रवाल व क्षमा मेहरा ने ली। जिसमें सभी शहरों के प्रतिनिधियों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस मौके पर कांफ्रेंस कोऑर्डिनेटर ध्रुव कुलश्रेष्ठ व यूपीएए के कोषाध्यक्ष सुधांशु जैन युवा आर्केटेक्ट को आर्केटेक्ट एचके अग्रवाल मैमोरियल अवार्ड से दिव्या मित्तल, सिद्धार्थ, देविना अग्रवाल को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
जनरल बॉडी की मीटिंग यूपी आर्केटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव द्विवेदी, संरक्षक योगेश चंद्रा, सचिव एनके अग्रवाल व क्षमा मेहरा ने ली। जिसमें सभी शहरों के प्रतिनिधियों ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस मौके पर कांफ्रेंस कोऑर्डिनेटर ध्रुव कुलश्रेष्ठ व यूपीएए के कोषाध्यक्ष सुधांशु जैन युवा आर्केटेक्ट को आर्केटेक्ट एचके अग्रवाल मैमोरियल अवार्ड से दिव्या मित्तल, सिद्धार्थ, देविना अग्रवाल को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
यह रहे मौजूद
कांफ्रेंस में कांफ्रेंस कोऑर्डिनेटर ध्रुव कुलश्रेष्ठ, आयोजन समिति के सीएस गुप्ता, किरन गुप्ता, रजत अग्रवाल, संगीता अग्रवाल, स्मृति जैन, ललित द्विवेदी, अश्वनी शिरोमणी, गौरव शर्मा, अंकुर मांगलिक, जीपी भटनागर, एसपी अग्रवाल, राजीव द्विवेदी, बीके शर्मा, सुधांशु जैन, अमित अग्रवाल, अश्वनी शर्मा, पुष्पेन्द्र सिंह, अश्वनी गुप्ता आदि उपस्थित थे।
कांफ्रेंस में कांफ्रेंस कोऑर्डिनेटर ध्रुव कुलश्रेष्ठ, आयोजन समिति के सीएस गुप्ता, किरन गुप्ता, रजत अग्रवाल, संगीता अग्रवाल, स्मृति जैन, ललित द्विवेदी, अश्वनी शिरोमणी, गौरव शर्मा, अंकुर मांगलिक, जीपी भटनागर, एसपी अग्रवाल, राजीव द्विवेदी, बीके शर्मा, सुधांशु जैन, अमित अग्रवाल, अश्वनी शर्मा, पुष्पेन्द्र सिंह, अश्वनी गुप्ता आदि उपस्थित थे।
समाज और आर्केटेक्ट के बीच का गेप समाप्त होना जरूरी
जिस तरह लोग एक डॉक्टर और वकील के काम के बारे में जानते हैं, उस तरह एक आर्केटेक्ट से मिलने वाली सर्विस के बारे में नहीं जानते। छोटे बजट के लोगों को भी एक आर्केटेक्ट की जरूरत होती। ऐसे आर्केटेक्ट उपलब्ध भी हैं लेकिन आम जनता नहीं जानती। समाज और आर्केटेक्ट के बीच के इस गेम को कैम्प आयोजित करने जैसे आयोजन से खत्म किया जा सकता है।
जिस तरह लोग एक डॉक्टर और वकील के काम के बारे में जानते हैं, उस तरह एक आर्केटेक्ट से मिलने वाली सर्विस के बारे में नहीं जानते। छोटे बजट के लोगों को भी एक आर्केटेक्ट की जरूरत होती। ऐसे आर्केटेक्ट उपलब्ध भी हैं लेकिन आम जनता नहीं जानती। समाज और आर्केटेक्ट के बीच के इस गेम को कैम्प आयोजित करने जैसे आयोजन से खत्म किया जा सकता है।