यूपी बार काउंसिल की चेयरमैन दरवेश यादव की हत्या के वक्त उनकी भांजी कंचन यादव और उनका एक रिश्तेदार मनोज यादव भी उनके साथ थे। गोलीकांड से पहले सभी दरवेश की जीत की खुशियां मना रहे थे। दरवेश यादव को फूल मालाओं से लाद दिया गया था। इसके बाद दरवेश यादव वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद मिश्रा के चैंबर में पहुंचती हैं, जहां दिल दहला देने वाली ये पूरी वारदात होती है। साथी अधिवक्ता मनीष शर्मा रिवॉल्वर के साथ वहां आता है। एक के बाद एक 4 गोली चलीं और जीत की खुशी अचानक मातम में बदल गई।
चश्मदीदों के मुताबिक जब मनीष ने पहली गोली चलाई तो दरवेश तेजी से चिल्लाईं थी। वो मनीष को रोकना चाहती थी। मगर ये हो ना सका। पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि आरोपी मनीष बाबू शर्मा ने पहली गोली दरवेश के रिश्तेदार मनोज यादव पर चलाई थी, लेकिन वो नीचे की तरफ झुक कर बच गया था। इसके बाद मनीष ने दो गोली दरवेश यादव पर दाग दीं। एक गोली उसके सीने में लगी और दूसरी पेट में और बिना देर किए चौथी गोली मनीष ने खुद को मार ली। लेकिन इस पूरी वारदात के बाद एक सवाल ये भी रहा, कि आखिर मनीष बाबू शर्मा ने मनोज यादव पर गोली क्यों चलाई। वहीं बड़ा सवाल ये भी है कि दरवेश यादव की हत्या मनीष शर्मा ने क्यों की।
इस हत्याकांड के संबंध में दरवेश यादव के भतीजे सनी यादव ने मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें मनीष बाबू शर्मा के अलावा उसकी पत्नी वंदना शर्मा को भी आरोपी बनाया गया। सनी के मुताबिक उसकी बुआ दरवेश की गाड़ी, गहने और चैंबर पर मनीष ने कब्जा कर रखा था। कई बार तकादा करने पर भी वे उनकी गाड़ी और गहने वापस नहीं कर रहे थे। इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद चल रहा था। सनी का आरोप है कि वंदना शर्मा ने उसकी बुआ को जान से हाथ धोने की धमकी भी दी थी, लेकिन दरवेश यादव ने इस तरफ कभी ध्यान नहीं दिया। दरवेश यादव ने विवाह नहीं किया था। अपने पिता की मृत्यु के बाद वही परिवार का पालन पोषण करती रहीं। अपने छोटे भाई बहनों को पढ़ाया लिखाया। कहा जाता है कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही थी, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी का खात्मा ऐसे होगा।