UP Board: मूकबधिर मयंक ने सामान्य बच्चों को पछाड़ा, आईएएस बनेगा
आगरा के जन्मजात मूकबधिर मयंक ने आम बच्चों के साथ पढ़ कर इंटर में 80 प्रतिशत नम्बर लाकर विद्यालय में चौथा स्थान प्राप्त किया है।

आगरा। एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को देख कर अर्जुन से ज्यादा धनुर्विद्या सीख ली थी। ऐसे ही आगरा के मयंक ने दिव्यांगों के लिए एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर दिया है। जन्मजात मूकबधिर मयंक ने आम बच्चों के साथ पढ़ कर इंटर में 80 प्रतिशत नम्बर लाकर विद्यालय में चौथा स्थान प्राप्त किया है।
लिप रीडिंग की
पेशे से एलआईसी एजेंट विनोद शर्मा और शिक्षक अनामिका शर्मा के 17 वर्षीय बेटे मयंक जन्मजात मूक बधिर हैं। भले ही मयंक कुछ सुन बोल न सकते हो पर उन्होंने कभी अपने को किसी से कमजोर नहीं समझा। बचपन से ही आम बच्चों की तरह पढ़ाई की। वर्तमान में मयंक आगरा के श्री राम कृष्ण इंटर कालेज में पढ़ रहे थे। स्कूल में बच्चों को टीचर बोल-बोल कर पढ़ाते थे, तो मयंक उनके ओठों की हरकत से पाठ समझ लेता था। कड़ी मेहनत और लगन से रोजाना 6 से 7 घण्टे पढ़कर मयंक ने इंटर की परीक्षा में विज्ञान वर्ग से 401 नम्बर प्राप्त कर विद्यालय में चौथा स्थान प्राप्त किया है। इससे पहले दसवी में मयंक ने 89 प्रतिशत लाकर सबको हैरान कर दिया था।
भाई को पढ़ाता भी है
मयंक ने अपने दोस्त की सहायत से बताया कि वो अपने दोस्तों के साथ आम बच्चों की तरह ही पढ़ना चाहते हैं। वर्तमान में वो महिंद्रा कोचिंग में पढ़ रहे हैं और पीएचडी के साथ सिविल सेवा में जाना चाहते हैं। मयंक खाली समय में अपने छोटे भाई सातवीं के मुकेश को पढ़ाते भी हैं।
यकीन था कुछ करेगा
मयंक के प्रिंसिपल ने बताया की जब मयंक पढ़ने आया था, तो शुरू में दिक्कतें आई पर हमने इग्नोर किया। कुछ दिन बाद मयंक सबसे घुल मिल गया और आराम से पढ़ने लगा। मयंक क्लास की पीछे की बेंच पर बैठने वालो में से था और जब भी राउंड लगाओ तो इसकी शैतानियां पकड़ आ जाती थीं। क्लास में दोस्त इसकी हर बात आसानी से समझ लेते थे। मुझे यकीन था की यह बच्चा कुछ करेगा और वो इसने कर दिखाया।
दोस्तों ने कंधों पर उठा लिया
रिज़ल्ट के बाद स्कूल अध्यापकों का आशीर्वाद लेने आये मयंक को देखते ही साथियों ने कन्धे पर उठा लिया। मयंक के साथ बैठने वाले दोस्त अरबाज तालिब और दीपक ने बताया कि पहले मयंक से शिक्षकों को कुछ बात करनी होती थी, तो उन्हें हमारी मदद लेनी पड़ती थी। बाद में वो भी सब समझने लगे। हमारा सेंटर रत्न मुनि इंटर कॉलेज में था, जहाँ बहुत सख्ती थी, पर जो भी आता था वो मयंक को ही देखता था।
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