बनाई गईं स्थाई गौशाला
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों की फसलों को दृष्टिगत रखते हुए आवरा गोवंशों को गोशाला में रक्षित करने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने सिकंदरा के बाईंपुर में दो अस्थाई गौशालाएं बनाईं थीं, जिसमें एक सिर्फ गाय के लिये और दूसरी नंदियों के लिये है। इनमें आवरा गौवंशों को रक्षित किया गया। तमाम समाज सेवियों ने भी गौशालाओं में दान के रूप में प्रशासन को भूसा, चारा के अलावा खाद्य सामग्री मुहैया कराई, ताकि गौवंशों को समय से चारा पानी मिलता रहे, लेकिन इसके बाद भी यहां गौवंश की हालत दयनीय है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों की फसलों को दृष्टिगत रखते हुए आवरा गोवंशों को गोशाला में रक्षित करने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने सिकंदरा के बाईंपुर में दो अस्थाई गौशालाएं बनाईं थीं, जिसमें एक सिर्फ गाय के लिये और दूसरी नंदियों के लिये है। इनमें आवरा गौवंशों को रक्षित किया गया। तमाम समाज सेवियों ने भी गौशालाओं में दान के रूप में प्रशासन को भूसा, चारा के अलावा खाद्य सामग्री मुहैया कराई, ताकि गौवंशों को समय से चारा पानी मिलता रहे, लेकिन इसके बाद भी यहां गौवंश की हालत दयनीय है।
सात की मौत
बाईंपुर स्थित नंदी गौशाला में आज सुबह सात नंदियों की मौत हो गई। यहां 450 से अधिक नंदी हैं। यहां पर इनकी देखभाल के लिये एक चिकित्सक हैं और दो कर्मचारी हैं। सबसे बड़ी समस्या यहां की कर्मचारी न होना है। गौरक्षक कौशल कुमार की मानें तो प्रचंड गर्मी और चारा, पानी के अभाव में हर रोज दो चार गौवंशों की दम तोड़ने की खबर आ रही हैं। आज सुबह भी यहां सात नंदियों की मौत हो गई। प्रशासन आंख बंद कर सो रहा है।
बाईंपुर स्थित नंदी गौशाला में आज सुबह सात नंदियों की मौत हो गई। यहां 450 से अधिक नंदी हैं। यहां पर इनकी देखभाल के लिये एक चिकित्सक हैं और दो कर्मचारी हैं। सबसे बड़ी समस्या यहां की कर्मचारी न होना है। गौरक्षक कौशल कुमार की मानें तो प्रचंड गर्मी और चारा, पानी के अभाव में हर रोज दो चार गौवंशों की दम तोड़ने की खबर आ रही हैं। आज सुबह भी यहां सात नंदियों की मौत हो गई। प्रशासन आंख बंद कर सो रहा है।
ये बोले अधिकारी
जब इस मामले में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अशोक कुमार से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि ये सभी एक्सीडेंटर मामले थे। रोजाना एक दो ऐसे एक्सीडेंटल मामलों वाले नंदी की मौत हो जाती है। इसका कारण चारा या पानी नहीं है। एक्सीडेंटल केस में हमारे डॉक्टर इनको बचाने का प्रयास करते हैं, लेकिन कई नंदी को बचाने का प्रयास सफल नहीं हो पाता है।
जब इस मामले में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी अशोक कुमार से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि ये सभी एक्सीडेंटर मामले थे। रोजाना एक दो ऐसे एक्सीडेंटल मामलों वाले नंदी की मौत हो जाती है। इसका कारण चारा या पानी नहीं है। एक्सीडेंटल केस में हमारे डॉक्टर इनको बचाने का प्रयास करते हैं, लेकिन कई नंदी को बचाने का प्रयास सफल नहीं हो पाता है।
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