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एडीजी अजय आनंद ने हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में श्लोकों के जरिए अपनी बात को पुलिस अधिकारियों तक पहुंचाया। एडीजी ने शुरुआती उद्बोधन में कहा कि स्वतंत्रता की यह ज्योति जलाए रखना हमारा परम कर्तव्य है। इसके बाद पुलिस कर्मियों को संबोधित करते हुए भावुक एडीजी अजय आनंद ने कहा कि आज अफसोस इस बात का है कि देश के 72 साल बाद स्वतंत्र होने पर भी गरीब थाने में जाने से डरता है। गरीब को न्याय नहीं मिल पाता है। सिस्टम में विसंगतियां हैं।
एडीजी अजय आनंद ने हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में श्लोकों के जरिए अपनी बात को पुलिस अधिकारियों तक पहुंचाया। एडीजी ने शुरुआती उद्बोधन में कहा कि स्वतंत्रता की यह ज्योति जलाए रखना हमारा परम कर्तव्य है। इसके बाद पुलिस कर्मियों को संबोधित करते हुए भावुक एडीजी अजय आनंद ने कहा कि आज अफसोस इस बात का है कि देश के 72 साल बाद स्वतंत्र होने पर भी गरीब थाने में जाने से डरता है। गरीब को न्याय नहीं मिल पाता है। सिस्टम में विसंगतियां हैं।
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एडीजी ने कहा कि छुट्टी ना मिल पाने के कारण हम झुंझलाते हैं। जनता में पुलिस की छवि अच्छी नहीं है। उन्होने कहा कि अगर थाने में 50 काम आते हैं और उन 50 कामों में से केवल 10 का काम कर दीजिए, तो आपको और आपके परिवार को कोई समस्या नहीं आएगी और अगर समस्या आएगी तो वह दूर हो जाएगी। ऐसी न्याय उचित कार्रवाई से आप समझिए कि धरती पर सबसे बड़ा पुण्य आपने किया है।
एडीजी ने कहा कि छुट्टी ना मिल पाने के कारण हम झुंझलाते हैं। जनता में पुलिस की छवि अच्छी नहीं है। उन्होने कहा कि अगर थाने में 50 काम आते हैं और उन 50 कामों में से केवल 10 का काम कर दीजिए, तो आपको और आपके परिवार को कोई समस्या नहीं आएगी और अगर समस्या आएगी तो वह दूर हो जाएगी। ऐसी न्याय उचित कार्रवाई से आप समझिए कि धरती पर सबसे बड़ा पुण्य आपने किया है।
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