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धरती की पैदावार बढ़ानी है तो करें ऐसी खेती

locationआगराPublished: May 10, 2018 07:24:41 pm

एसीई कॉलेज में डीएसटी के इंस्पायर इंटर्नशिप साइंस कैम्प में बच्चों ने जाना माइक्रोफोना व ऑर्गेनिक कम्पाउंड का महत्व

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आगरा। रासायनिक खाद माइक्रोफोना (धरती की गर्त में पलने वाले जो सूक्ष्मजीव जो आंखों से दिखाई नहीं देते) को नष्ट कर रही है। जिसके कारण धरती अपनी उपजाई शक्ति को खोकर बंजर बन रही है। इसलिए जरूरी है कि रासायनिक खाद के बजाए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए। यह कहना था अलीगढ़ मुस्लिम विवि में जीव विज्ञान के प्रो. वसीम अहमद का। एसीई इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट कॉलेज में डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी (डीएसटी) द्वारा आयोजित पांच दिवसीय इंस्पायर इंटर्नशिप साइंस कैम्प के तीसरे दिन वह विद्यार्थियों को सम्बोधित कर रहे थे।
मात्र ढाई दिन के जीवन चक्र से मिट्टी को उपजाऊ
उन्होंने बताया कि किस तरह मिट्टी के नीचे सूक्ष्म जीवों की एक दुनिया है, जो अपनी मात्र ढाई दिन के जीवन चक्र से मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखते हैं। यदि किसी वजह से सूक्ष्म जीवों के जीवन का चक्र बिगड़ जाए तो इसका असर मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर पड़ता है। रासायनिक खाद इन माइक्रोफोना को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिससे लगातार धरती उजपाऊ क्षमता घट रही है। उन्होंने विद्यार्थियों को जैविक खेती के प्रोत्साहित किया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, रसायन विज्ञान के प्रो. एम मुनीर ने आर्गेनिक कैमिस्ट्री एव्री डे लाइफ पर व्याख्यान देते हुए आर्गेनिक कैमिस्ट्री में भविष्य की सम्भावनाओं के प्रति प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर कॉलेज के निदेशक संयम अग्रवाल, सचिव अखिल गोयल, आरके सिंह व नेमित शर्मा भी मौजूद थे।
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कैम्प के अंतिम दिन तीन श्रेष्ठ विद्यार्थियों को किया जाएगा पुरस्कृत
कॉलेज के निदेशक डॉ. संयम अग्रवाल ने बताया कि कैम्प में आगरा , फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, टूंडला आदि के 32 स्कूलों के 150 टॉपर विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। कैम्प के अंतिम दिन 12 मई को प्रतियोगिता आयोजित कर तीन सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थियों को ट्रॉफी प्रदान की जाएगी।
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