बाढ़ के बाद ये बने हालात
राजस्थान कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद कई दिनों तक चम्बल खतरे के निशान से ऊपर रही। जिससे बाह क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांव प्रभावित रहे। ग्रामीणों को गांव छोड़ ऊंचे टीलों पर शरण लेनी पड़ी थी। चम्बल में पानी कम होने के बाद धीरे-धीरे ग्रामीणों ने गांव की ओर लौटना शुरु कर दिया है, लेकिन बाढ़ में बह कर आबादी क्षेत्र में पहुंचे मगरमच्छों से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। इधर कई दिनों तक रहे जलभराव से बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है। वहीं हजारों बीगा फसल बर्वाद होने से ग्रामीणों पर रोजी- रोटी का संकट भी गहरा रहा है।
राजस्थान कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद कई दिनों तक चम्बल खतरे के निशान से ऊपर रही। जिससे बाह क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांव प्रभावित रहे। ग्रामीणों को गांव छोड़ ऊंचे टीलों पर शरण लेनी पड़ी थी। चम्बल में पानी कम होने के बाद धीरे-धीरे ग्रामीणों ने गांव की ओर लौटना शुरु कर दिया है, लेकिन बाढ़ में बह कर आबादी क्षेत्र में पहुंचे मगरमच्छों से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। इधर कई दिनों तक रहे जलभराव से बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है। वहीं हजारों बीगा फसल बर्वाद होने से ग्रामीणों पर रोजी- रोटी का संकट भी गहरा रहा है।
सामाजिक संस्थाओं ने बढ़ाया मद्द का हाथ
बाढ़ पीड़ितों को आगरा शहर से कुछ संस्थाएं मद्द के लिए आगे आई हैं। वीरांगना अवंतीबाई सेवा समिति ने स्थानीय लोगों से सहयोग लेकर करीब दो ट्रक राहत सामग्री रविवार को बाह पिनाहट के लिए रवाना की है। जिसे आपदा प्रभावित ग्रामीणों को वितरित किया जाएगा।
बाढ़ पीड़ितों को आगरा शहर से कुछ संस्थाएं मद्द के लिए आगे आई हैं। वीरांगना अवंतीबाई सेवा समिति ने स्थानीय लोगों से सहयोग लेकर करीब दो ट्रक राहत सामग्री रविवार को बाह पिनाहट के लिए रवाना की है। जिसे आपदा प्रभावित ग्रामीणों को वितरित किया जाएगा।