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UP Top News : भाजपा नेता और सांसद के बेटे पर फायरिंग का राजफाश दरअसल, ललितपुर के महरौली थाना क्षेत्र के गांव सिलावन निवासी 46 वर्षीय विष्णु के खिलाफ साल 2000 में एक अनुसूचित जाति की महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। इस मामले में उस दौरान सत्र न्यायालय ने विष्णु को 10 वर्ष और एससी-एसटी एक्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उस दौरान विष्णु की उम्र 26 वर्ष थी। तभी से विष्णु जेल में सजा काट रहा है। आजीवन कारावास की सजा होने के बाद उसे अप्रैल 2003 में आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विष्णु को बरी कर दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट उसके 20 साल से जेल में बंद रहने पर भी हैरानी व्यक्त की है। जबकि कानून 14 साल बाद उसे रिहा कर देना चाहिए था। इलाहाबाद कोर्ट ने माना है कि उसके खिलाफ दुष्कर्म के कोई सबूत ही नहीं हैं।
दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला थी गर्भवती बताया गया है कि जब महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था तो उस दौरान वह गर्भवती थी। इसलिए जांच में दुष्कर्म की पुष्टि भी नहीं हो सकी थी। महिला के पति व ससुर ने घटना को तीन दिन पुरानी बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। इसे महिला ने भी अपने बयान कबूल किया था। विष्णु के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। इसलिए वह केस नहीं लड़ सका। जब विष्णु को सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया जेल प्रशासन की मदद से उसे विधिक सेवा समिति का साथ मिल गया। एक अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में विष्णु की तरफ से याचिका दाखिल की। लंबी बहस और तारीखों के बाद हाईकोर्ट ने विष्णु को रिहा करने के आदेश दे दिए हैं। अब कभी भी सेंट्रल जेल में विष्णु की रिहाई का परवाना पहुंच सकता है। विष्णु जेल में दूसरे बंदियों के लिए खाना बनाता है। अब वह एक कुशल रसोइया बन चुका है।
सरकार ने रिहा क्यों नहीं किया समझ से परे: हाईकोर्ट मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा है कि सत्र अदालत ने सबूतों पर विचार किए बिना गलत फैसला दिया था। साथ ही कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 432 और 433 में राज्य और केंद्र सरकार के पास शक्ति है, जिससे वह 10 से 14 साल की सजा भुगतने वाले आरोपी की रिहाई पर विचार कर सकती है। राज्यपाल को भी अनुच्छेद 161 में 14 वर्ष की सजा भुगतने वाले को रिहा करने का अधिकार प्राप्त है। हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आरोपी 20 साल जेल में बंद है, उसे सरकार ने रिहा क्यों नहीं किया यह समझ से परे है।