मां के गर्भ से ही सीखने लगता है बच्चा
तकनीकी सत्रों का आरंभ करते हुए फाॅग्सी की पूर्व व इसार की वर्तमान अध्यक्ष डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि एक बच्चा मां के गर्भ से ही सीखना शुरू कर देता है। इस बात के प्रमाण आज दुनिया भर में मिल रहे हैं। जिस तरह अभिमन्यु के चक्रव्यूह तोड़ने के गुर मां के पेट में ही सीख लेने की पौराणिक कथा हमने सुनी है, ठीक वैसे ही उदाहरण आज भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में एक मां के लिए यह जरूरी हो जाता है कि बच्चे के गर्भ में आने के बाद वह अपने आस-पास के वातावरण को सकारात्मक रखे। बच्चा जब गर्भ में हो तो अच्छी बातें सुने और देखे। इस बात का खयाल पूरे परिवार को रखना चाहिए। इस प्रोजेक्ट को हमने अद्भुत मातृत्व का नाम दिया है। देश भर में कई जगह के साथ ही आगरा में यह शुरू हो चुका है। डाॅक्टर्स इसका महत्व गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को समझा रहे हैं।
तकनीकी सत्रों का आरंभ करते हुए फाॅग्सी की पूर्व व इसार की वर्तमान अध्यक्ष डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि एक बच्चा मां के गर्भ से ही सीखना शुरू कर देता है। इस बात के प्रमाण आज दुनिया भर में मिल रहे हैं। जिस तरह अभिमन्यु के चक्रव्यूह तोड़ने के गुर मां के पेट में ही सीख लेने की पौराणिक कथा हमने सुनी है, ठीक वैसे ही उदाहरण आज भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में एक मां के लिए यह जरूरी हो जाता है कि बच्चे के गर्भ में आने के बाद वह अपने आस-पास के वातावरण को सकारात्मक रखे। बच्चा जब गर्भ में हो तो अच्छी बातें सुने और देखे। इस बात का खयाल पूरे परिवार को रखना चाहिए। इस प्रोजेक्ट को हमने अद्भुत मातृत्व का नाम दिया है। देश भर में कई जगह के साथ ही आगरा में यह शुरू हो चुका है। डाॅक्टर्स इसका महत्व गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को समझा रहे हैं।
Together for Her के जरिए अपनी राय रजिस्टर कराएं
मुंबई से आईं वक्ता डॉ. मनीषा मेहता ने गायनेकोलाॅजिस्ट और मरीजों के तकनीक के साथ कदमताल को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि Together for Her एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसके जरिए आप अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं, संसाधनों, गुणवत्ता, प्रसव के बारे में अपनी कोई राय रजिस्टर कर सकते हैं। इसका फाॅर्म 10 बिंदुओं में इंटरनेट पर उपलब्ध रहता है। गर्भवती महिला या परिवार वाले अस्पताल से डिस्चार्ज लें और इस फाॅर्म को जरूर भरें, ताकि आगे की समीक्षा की जा सके।
मुंबई से आईं वक्ता डॉ. मनीषा मेहता ने गायनेकोलाॅजिस्ट और मरीजों के तकनीक के साथ कदमताल को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि Together for Her एक ऐसा प्रोग्राम है, जिसके जरिए आप अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं, संसाधनों, गुणवत्ता, प्रसव के बारे में अपनी कोई राय रजिस्टर कर सकते हैं। इसका फाॅर्म 10 बिंदुओं में इंटरनेट पर उपलब्ध रहता है। गर्भवती महिला या परिवार वाले अस्पताल से डिस्चार्ज लें और इस फाॅर्म को जरूर भरें, ताकि आगे की समीक्षा की जा सके।
इस एप से घर बैठे मिलेगी जानकारी
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि हाल ही हमने IMumz App लांच किया है। यह गर्भावस्था से जुड़ी तमाम समस्याओं का निराकरण गर्भ बैठे ही करता है। गर्भावस्था से जुड़ी शैक्षणिक विषयवस्तु, पोषण-स्तनपान की जानकारी, मधुमेह, हाइपरटेंशन, कुपोषण, गर्भवती एवं गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को लेकर पूरी जानकारी इस एप के जरिए आप घर बैठे ही हासिल कर सकते हैं। बस आपको यह एप अपने मोबाइल में इंस्टाॅल करना होता है।
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि हाल ही हमने IMumz App लांच किया है। यह गर्भावस्था से जुड़ी तमाम समस्याओं का निराकरण गर्भ बैठे ही करता है। गर्भावस्था से जुड़ी शैक्षणिक विषयवस्तु, पोषण-स्तनपान की जानकारी, मधुमेह, हाइपरटेंशन, कुपोषण, गर्भवती एवं गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को लेकर पूरी जानकारी इस एप के जरिए आप घर बैठे ही हासिल कर सकते हैं। बस आपको यह एप अपने मोबाइल में इंस्टाॅल करना होता है।
बेटा समझाओ-बेटी बचाओ का संदेश दिया
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रो. सरोज सिंह और डॉ. सुधा बंसल ने गायनेकोलाॅजी के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि आज मातृत्व देखभाल को चुनौतीपूर्ण तरीके से लिया जा रहा है। इसके लिए तकनीक की पूरी मदद ली जाती है। गर्भ में बच्चे के विकास से लेकर अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधाओं, संसाधनों तक तकनीकी विकास मददगार साबित हुआ है। कार्यशाला की शुरुआत मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार वत्स ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ की। स्वागत डॉ. कहकशा खान ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निधि बंसल ने किया। प्रबंधन व्यवस्था डॉ. नीरजा सचदेवा, डॉ. मनप्रीत शर्मा ने संभाली। अंत में सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत डाॅक्टरों ने नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत कर बेटा-बेटी के बीच फर्क मिटाने, बेटा समझाओ-बेटी बचाओ का संदेश दिया।
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रो. सरोज सिंह और डॉ. सुधा बंसल ने गायनेकोलाॅजी के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि आज मातृत्व देखभाल को चुनौतीपूर्ण तरीके से लिया जा रहा है। इसके लिए तकनीक की पूरी मदद ली जाती है। गर्भ में बच्चे के विकास से लेकर अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधाओं, संसाधनों तक तकनीकी विकास मददगार साबित हुआ है। कार्यशाला की शुरुआत मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार वत्स ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ की। स्वागत डॉ. कहकशा खान ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निधि बंसल ने किया। प्रबंधन व्यवस्था डॉ. नीरजा सचदेवा, डॉ. मनप्रीत शर्मा ने संभाली। अंत में सांस्कृतिक संध्या के अंतर्गत डाॅक्टरों ने नृत्य नाटिकाएं प्रस्तुत कर बेटा-बेटी के बीच फर्क मिटाने, बेटा समझाओ-बेटी बचाओ का संदेश दिया।