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बात कब बिगड़ती है मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर बताते हैं- शादी के बाद दो परिवारों का मिलन होता है। जब दो लोग एक से नहीं हो सकते हैं तो दो परिवार एक से कैसे हो सकते हैं? दोनों की मान्यताओं में भिन्नता होती है। दोनों हर बिन्दु पर सहमत हों, यह संभव नहीं है। दोनों भिन्न हैं। दोनों की सामाजिक मान्यताओं के समझने के लिए समय देना होता है। समय का अभाव होने से पार्टनर का मन विचलित होता है। उसे लगता है कि मुझ पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, इसका मतलब किसी से चक्कर चल रहा है। बस यहीं से बात बिगड़नी शुरू हो जाती है।
बात कब बिगड़ती है मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर बताते हैं- शादी के बाद दो परिवारों का मिलन होता है। जब दो लोग एक से नहीं हो सकते हैं तो दो परिवार एक से कैसे हो सकते हैं? दोनों की मान्यताओं में भिन्नता होती है। दोनों हर बिन्दु पर सहमत हों, यह संभव नहीं है। दोनों भिन्न हैं। दोनों की सामाजिक मान्यताओं के समझने के लिए समय देना होता है। समय का अभाव होने से पार्टनर का मन विचलित होता है। उसे लगता है कि मुझ पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, इसका मतलब किसी से चक्कर चल रहा है। बस यहीं से बात बिगड़नी शुरू हो जाती है।
यह भी पढ़ें वीडियो: दहेज न मिलने पर ससुरालीजनों ने विवाहिता की पीट—पीटकर कर दी हत्या, मायका पक्ष ने उठाया ये कदम ऊंचे पदों पर बैठ अफसरों के सामने प्रमुख समस्या आईपीएस अधिकारी को सुबह से शाम तक कोई होश नहीं रहता है। जनता को लगता होगा कि आईपीएस की नौकरी मजे की है, लेकिन यह ठीक उसी तरह है जैसे दूर से चन्द्रमा अच्छा लगता है। चन्द्रमा पर जाइए तो वहां पानी तक नहीं है। आईपीएस अधिकारी जब स्वयं काम के दबाव से अवसाद में है, तो पत्नी को जरूरत के हिसाब से समय नहीं देना संभव नहीं होता है। जब पत्नी क्लेश करे तो अधिक समय देना होता है। ऊंचे पदों पर बैठे लोग हर बात हर किसी से शेयर नहीं कर सते हैं, जिससे अवसाद बढ़ जाता है। कार्य का दबाव है ही। इससे व्यक्ति आत्महत्या की ओर प्रेरित हो जाता है। यही सुरेन्द्र दास के साथ हुआ।
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संबंध पटरी पर लाने के लिए क्या करें डॉ. राठौर ने बताया कि शक करना सामान्य बात है और बीमारी भी है। यह तो संबंधित व्यक्ति के परीक्षण से ही ज्ञात हो सकता है कि बीमारी है या नहीं। अगर बीमारी है तो उसका इलाज भी है। वैसे कुछ लोगों का व्यक्तित्व होता है शक करना। कुछ लोगों की आदत है एक ही बात को 10 बार पूछना। न बताओ तो सोच बना लेते हैं कि कुछ छिपा रहे हैं। ऐसी हालत में संबंध खराब होने लगते हैं। जब संबंध खराब हों तो उन्हें पटरी पर लाने के लिए अधिक समय देना होता है। आईपीएस सुरेन्द्र दास के बारे में बता करें तो प्राथमिक तौर पर यह कहा जा सकता है कि अगर शक सही होता तो वे आत्महत्या जैसा बड़ा कदम नहीं उठाते।
संबंध पटरी पर लाने के लिए क्या करें डॉ. राठौर ने बताया कि शक करना सामान्य बात है और बीमारी भी है। यह तो संबंधित व्यक्ति के परीक्षण से ही ज्ञात हो सकता है कि बीमारी है या नहीं। अगर बीमारी है तो उसका इलाज भी है। वैसे कुछ लोगों का व्यक्तित्व होता है शक करना। कुछ लोगों की आदत है एक ही बात को 10 बार पूछना। न बताओ तो सोच बना लेते हैं कि कुछ छिपा रहे हैं। ऐसी हालत में संबंध खराब होने लगते हैं। जब संबंध खराब हों तो उन्हें पटरी पर लाने के लिए अधिक समय देना होता है। आईपीएस सुरेन्द्र दास के बारे में बता करें तो प्राथमिक तौर पर यह कहा जा सकता है कि अगर शक सही होता तो वे आत्महत्या जैसा बड़ा कदम नहीं उठाते।
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परिवार का समय दें उन्होंने कहा कि आज हाल यह है कि आईपीएस और आईएएस अधिकारियों से जनता की अपेक्षाएं बहुत बढ़ गई हैं। नीचे और ऊपर दोनों ओर से दबाव है। ऐसे में परिवार को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाते हैं। आईपीएस और आईएएस 10 से 5 बजे तक काम नहीं करते हैं। उन्हें रात के दो बजे तक काम करता होता है। घर में बैठकर भी वायरलेस सुनते रहते हैं। जरूरत इस बात की है कि जब ऐसी हालत हो तो छुट्टी लेकर परिवार के साथ समय बिताइए। समय का कोई शॉर्टकट नहीं है। सामान्य से लेकर शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को समय देना है। शीर्ष पर बैठे व्यक्ति का समय बहुत कीमती है इस कारण समय नहीं देते हैं और इसके दुष्परिणाम सामने आते हैं।
परिवार का समय दें उन्होंने कहा कि आज हाल यह है कि आईपीएस और आईएएस अधिकारियों से जनता की अपेक्षाएं बहुत बढ़ गई हैं। नीचे और ऊपर दोनों ओर से दबाव है। ऐसे में परिवार को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाते हैं। आईपीएस और आईएएस 10 से 5 बजे तक काम नहीं करते हैं। उन्हें रात के दो बजे तक काम करता होता है। घर में बैठकर भी वायरलेस सुनते रहते हैं। जरूरत इस बात की है कि जब ऐसी हालत हो तो छुट्टी लेकर परिवार के साथ समय बिताइए। समय का कोई शॉर्टकट नहीं है। सामान्य से लेकर शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को समय देना है। शीर्ष पर बैठे व्यक्ति का समय बहुत कीमती है इस कारण समय नहीं देते हैं और इसके दुष्परिणाम सामने आते हैं।