आगरा

प्रेमी संग मिलकर परिवार के सात लोगों को बेरहमी से मारने वाली शबनम की सजा बरकरार रही तो इस जेल में हो सकती है फांसी!

रोंगटे खड़े करने वाली इस घटना को लोग आज भी नहीं भूल सके हैं। सुप्रीम कोर्ट में लगाई है पुनर्विचार याचिका। यदि सजा बरकरार रही तो मथुरा जेल में दी जा सकती है फांसी।

आगराJan 25, 2019 / 02:49 pm

suchita mishra

आगरा/मथुरा। दस साल पहले अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में परिवार के सात लोगों की बेरहमी से की गई हत्या की वीभत्स घटना को सोचकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मारे गए परिवार के सदस्यों में आठ माह का बच्चा भी था। परिवार की हत्या की भी तो उसने जो अपने पिता की आज्ञाकारी बेटी कहलाती थी। सलीम नाम के युवक के प्रेम में अंधी होकर शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया था। दस साल बीत जाने के बाद भी लोग इस घटना को भूल नहीं पाए हैं।
मुरादाबाद में बंद है शबनम और आगरा जेल में सलीम
इस घटना के बाद से शबनम का नाम उसके गांव में इतना कलंकित हो गया कि दस सालों से उसके गांव में किसी परिवार में बेटी का नाम शबनम नहीं रखा गया। इन दस सालों में दोनों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इसके लिए पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। शबनम इस समय मुरादाबाद जेल में बंद है और उसका प्रेमी सलीम आगरा की सेंट्रल जेल में बंद है। उनकी फांसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में इसी माह सुनवाई होनी है। यदि सुप्रीम कोर्ट फांसी की सजा को बरकरार रखता है तो शबनम को मथुरा जेल में ट्रांसफर किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ठुकरा चुके हैं दया याचिका
परिवार के सात लोगों की हत्‍या करने के जुर्म में शबनम और सलीम दोनों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इस सजा की पुष्टि न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ने की बल्कि तत्कालीन राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी दया याचिका को ठुकरा चुके हैं। अब उनकी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर की गई है जिस पर कोर्ट जल्द ही सुनवाई करेगा और तय करेगा कि फांसी की सजा बरकरार रहेगी या मिलेगा रहम।
कोर्ट ने सजा बरकरार रखी तो मथुरा जेल में होगी फांसी
जेल मैनुअल के मुताबिक उत्तर प्रदेश में महिला बंदियों को फांसी देने की व्यवस्था केवल मथुरा जिला जेल में है। इसके अलावा प्रदेश की किसी जेल में महिला बंदी को फांसी देने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यदि शबनम की फांसी की सजा बरकरार रखी जाती है तो उसे मथुरा जिला जेल ट्रांसफर किया जा सकता है।
जेल में चाल चलन है अच्छा
जेल प्रशासन की रिपोर्ट में शबनम का चाल चलन काफी अच्छा बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक उसने जेल में में कभी जेल मैनुअल नहीं तोड़ा है। वह सैकड़ों लोगों को साक्षर कर चुकी है। शबनम पूरे दिन महिला बैरक में महिला बंदियों के बच्चों को पढ़ाती रहती है। वो साथी बंदियों का ध्यान रखती है। विशेषज्ञों का मानना है कि शबनम का यह व्यवहार उसे फांसी की सजा में रियायत भी दिला सकता है।
सलीम का भी चाल चलन बेहतर
वहीं शबनम के प्रेमी सलीम का भी आगरा की सेंट्रल जेल में अच्छा चाल चलन है। सलीम जब जेल गया था तो अंगूठा लगाता था और अब सलीम ने जेल अधिकारियों को कई पत्राचार अंग्रेजी भाषा में किए हैं। सलीम कानून की किताबें पढ़ना पसंद करता है।
वर्ष 2008 में दिया था घटना को अंजाम
14-15 अप्रैल 2008 की रात में इस अपराध को अंजाम दिया गया था। इन हत्‍याओं को अंजाम देने के पीछे वजह थी प्‍यार का पागलपन। जिस वक्‍त शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर इस हत्‍या को अंजाम दिया उस वक्‍त वह खुद सात माह की गर्भवती थी। इसके बाद भी उसको आठ माह के नवजात की जिंदगी लेने में हाथ नहीं कांपे। सलीम महज पांचवीं पास था वहीं शबनम इंग्लिश में डबल एमए थी और एक स्‍कूल में टीचर थी। लिहाजा परिवार वालों को शबनम और सलीम का संबंध गंवारा नहीं था, यही वजह थी कि इन दोनों ने मिलकर इन हत्‍याओं को अंजाम दिया था।
 
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