प्रमुख कारण
सीओपीडी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मॉस्कीटो कॉइल, सिगरेट, गांवों में चूल्हे आदि से निकलने वाला धुआं होता है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, धूल आदि भी इस बीमारी को जन्म देते हैं।
सीओपीडी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मॉस्कीटो कॉइल, सिगरेट, गांवों में चूल्हे आदि से निकलने वाला धुआं होता है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, धूल आदि भी इस बीमारी को जन्म देते हैं।
शुरुआत में नहीं दिखते लक्षण
इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में नहीं दिखते, लेकिन जैसे जैसे बीमारी गंभीर होने लगती है, इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में खांसी, बलगम, सांस लेने में परेशानी, सांस में घरघराहट की आवाज, टांगों व चेहरे पर सूजन, भूख कम लगना व वजन कम होना आदि हैं।
इस बीमारी के लक्षण शुरुआत में नहीं दिखते, लेकिन जैसे जैसे बीमारी गंभीर होने लगती है, इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में खांसी, बलगम, सांस लेने में परेशानी, सांस में घरघराहट की आवाज, टांगों व चेहरे पर सूजन, भूख कम लगना व वजन कम होना आदि हैं।
इलाज नहीं, पर सावधानी से बचाव संभव
इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है, साथ ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है, साथ ही इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
1. धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करें। मॉस्कीटो कॉइल के प्रयोग से बचें व किचेन में काम के दौरान एग्जॉस्ट का प्रयोग करें। 2. नियमित रूप से प्राणायाम व व्यायाम करें। 3. ज्यादा से ज्यादा लिक्विड चीजों को डाइट में शामिल करें।
4. डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं को नियमित रूप से खाएं। 5. धूल वाले इलाकों या अधिक भीड़भाड़ वाली जगहों पर जानें से परहेज करें। सर्दियों में बहुत सुबह टहलने न जाएं, धूप निकलने पर ही जाएं। घास पर नंगे पैर न चलें।