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विश्व धरोहर सप्ताह: बदहाली पर आंसू बहा रहा लोदी कालीन मकबरा

locationआगराPublished: Nov 21, 2019 06:01:23 pm

17 साल पहले हुआ था इस मकबरे का जीर्णोद्धार।

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आगरा। मुगलों के शहर कहे जाने वाले आगरा में ताजमहल के अलावा भी कई ऐसी इमारते हैं, जो अपने आप में बड़ा इतिहास छुपाये बैठी हैं। ऐसी ही एक इमारत की पहचान हुई 2002 में। ये इमारत जर्जर हालत में सिकंदरा अकबर टूम के परिसर में मिली। जब इस इमारत की पहचान हुई, तो पुरातत्व विभाग द्वारा इस इमारत का संरक्षण कराया गया, लेकिन आज भी ये इमारत अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। अष्टकोणीय जीर्णशीर्ण इस इमारत पर एएसआई ने शिलालेख लगवाया, जिसमें इसे अज्ञात लोदीकालीन मकबरे का नाम दिया गया है।
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नहीं आते हैं पर्यटक
सिकंदरा की बात करें, तो यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या तो अच्छी खासी है, लेकिन जानकारी के अभाव में इस इमारत तक पर्यटक नहीं पहुंचते हैं। इस इमारत को संरक्षित तो किया गया है, लेकिन इसे देखने के लिए कोई शुल्क नहीं है। पर्यटकों को सिकंदरा तक लाने वाले गाइड भी इस इमारत के बारे में उन्हें जानकारी नहीं देते हैं।
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1517 में हुआ था निर्माण
इतिहासकार डॉ. राजकिशोर राजे ने बताते हैं कि राष्ट्रीय राजमार्ग अकबर का मकबरा, सिकंदरा के पास स्थित लोदी के मकबरा का निर्माण 1517 में हुआ था। इस स्मारक के बारे में तरह-तरह की बातें कही जाती थीं। इसकी असली पहचान सन 2002 में हो सकी। 17 साल पहले तक यह मकबरा महज एक खंडहर की तरह दिखता था, लेकिन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा इसका जीर्णोद्धार कराया गया है।
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ये है कहानी
इतिहासकार डॉ. राजकिशोर राजे ने बताया कि सिकंदरा के बाहर जो ये इमारत थी, इसे बहुत पहले जहांगीर का विश्राम गृह बताया जाता था, लेकिन ये इमारत इतनी छोटी है कि ये नहीं लगता था, कि इसमें हिन्दुस्तान का बादशाह रुकता होगा। 2002 में इस पर काम किया तो पाया कि ये जहांगीर का निवास स्थान नहीं है। जांच करने पर पता चला कि ये स्थान सिकंदर लोदी का मकबरा है। क्योंकि जिस दिन सिकंदर लोदी की मृत्यु हुई थी, उसी दिन उसका बेटा इब्राहिम लोदी आगरा में गद्दी पर बैठा था। आज सिकंदर लोदी का मकबरा दिल्ली में है। तो ये मुमकिन नहीं है कि इब्राहिम लोदी उसी दिन आगरा आकर गद्दी पर बैठा, जिस दिन इब्राहिम लोदी की मृत्यु हुई थी। इसलिए तथ्य ये साफ हुआ कि सिकंदर लोदी को पहले आगरा में दफना दिया गया और बाद में बेटा सिंहासन पर बैठ गया। इसके बाद सिकंदर लोदी के शव को दिल्ली में ले जाकर दफनाया गया।
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