आगरा

अखिलेश यादव या फिर शिवपाल यादव, लोकसभा 2019 में यादव रहेगा किसके साथ, यादव महासभा का बड़ा फैसला

शिवपाल यादव द्वारा समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की घोषणा के बाद एक बार फिर सैफई परिवार में घमासान की शुरुआत हो गई है।

आगराSep 04, 2018 / 07:24 pm

धीरेंद्र यादव

Yadav Mahasabha

आगरा। शिवपाल यादव द्वारा समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की घोषणा के बाद एक बार फिर सैफई परिवार में घमासान की शुरुआत हो गई है। ऐसे में बड़ी खबर ये है कि 2019 से पहले शुरू हुए इस युद्ध का अंत क्या होगा और समाजवादी पार्टी का कट्टर वोट बैंक माने जाने वाला यादव समाज किस ओर रुख करेगा। एक तरफ अखिलेश यादव हैं, तो दूसरी तरफ शिवपाल सिंह यादव। अखिल भारतीय यादव महासभा द्वारा इसे लेकर बड़ा निर्णय किया जा रहा है।
ये बोले यूपी के प्रदेश अध्यक्ष
अखिल भारतीय यादव महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश यादव ने बताया कि सैफई परिवार में जो विवाद चल रहा है, उससे बड़ा नुकसान होगा। हालांकि यादव महासभा कोई राजनैतिक संगठन नहीं है, लेकिन यादवों से जुड़ी हर छोटी बड़ी बात की चिंता संगठन द्वारा की जाती है। उन्होंने बताया कि यादव ऐसा भी नहीं है, कि समाजवादी पार्टी के साथ ही रहता है। विभिन्न दलों में यादव बंट भी जाता है, लेकिन बड़ी संख्या में यादव सपा के साथ ही रहता है। ऐसे में यदि अखिलेश और शिवपाल के बीच चुनने की बात आयेगी, तो बड़ी गंभीर स्थिति यादवों के लिए होगी।
होगा बड़ा निर्णय
जयप्रकाश यादव ने बताया कि यादव महासभा की जल्द ही बैठक बुलाई जाने की प्लानिंग है। इस बैठक में सभी पदाधिकारी विचार विमर्श कर बड़ा निर्णय लेंगे। अभी सैफई परिवार से भी संगठन की चर्चा हो रही है। 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि यदि सपा पार्टी दो भागों में बंट जाती है, तो यादव भी बंट जायेंगे।
 

यूपी की राजनीति में यादवों की अहम भूमिका
उत्तर प्रदेश में 9 प्रतिशत यादव वोटर है। 9 जिलों में 15 प्रतिशत से ज्यादा यादव वोटर हैं। 8 प्रतिशत यादव वोटर 44 जिलों में हैं। एटा, इटावा, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद, बदायूं, कन्नौज, आजमगढ़, फैजाबाद, इलाहाबाद, यादव बाहुल जिले माने जाते हैं। यहां यादव वोटर चुनाव के दौरान अहम भूमिका निभाते हैं।
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