अजब-गजब: यहां बहती हैं उल्टी यमुना
यमुना का पक्षिमानी घाट, जहां 12 वर्षों तक रहे थे पांडव।

आगरा। आपने यमुना को सीधा बहते हुए तो देखा होगा, लेकिन आगरा में एक ऐसी जगह है, जहां पर यमुना विपरीत दिशा में बह रही हैं। ये स्थान है पक्षिमानी। दिल्ली-आगरा हाईवे-2 रुनकता से 10 किलोमीटर दूर स्थित पक्षिमनी धाम पर यमुना के विपरीत दिशा में बहने का दृश्य नजर आता है। हरियाली के बीच यहां पर एक बड़ा ही मोहक आश्रम बना हुआ है। मान्यता ये है कि यहां पर पांडवों ने 12 वर्ष तक तपस्या की थी। यहां पांडवों द्वारा शिवलिंग की स्थापना भी की गई थी। आश्रम के महंत कामेश्वरदास जी महाराज बताते हैं, कि यह आश्रम पुरातत्व विभाग की देखरेख में है।
भगवान श्रीकृष्ण ने बताया था ये स्थान
महंत कामेश्वर दास जी महाराज ने बताया कि महाभारत के युद्ध के बाद जब कौरवों का अंत हो गया, कुल में कोई नहीं रहा, तो पांडव भगवान कृष्ण ? के पास पहुंचे। भगवान कृष्ण से पूछा कि धर्म का निर्वहन करते हुये, हमने तो अपने कुल को ही समाप्त कर दिया, अब हमारे पापों का प्रायश्चित क्या होगा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जहां युमना उल्टी बह रही हैं, वहां जाकर सोमवती अमावस्या के दिन पूजन करो, सारे पाप धुल जायेंगे। इसके बाद द्रोपदी सहित पांडव पक्षिमानी धाम पहुंचे थे। यहां पर सत्यवती और व्यास जी का आश्रम था। पांडवों ने यमुना किनारे पत्थरों से अपनी कुटिया बनाई थी। इस कुटिया के अंश आज भी यहां मौजूद हैं।
पांडवों द्वारा निर्मित अतिप्राचीन है शिवलिंग
पक्षिमानी धाम पर पांडव जब 12 वर्ष तक रुके, तो उन्होंने भगवान शिव का पूजन करने के लिए शिवलिंग की स्थापना की थी। यह शिवलिंग आज भी यहां स्थापित है। लाल पत्थर से बनाई गई शिवलिंग को देखो तो ऐसा लगता है कि यह अति प्राचीन है। इस शिवलिंग को किसी नुकीली चीज से काटकर हाथों से बनाया गया है। इसके साथ ही यहां आज भी उस कुटिया के अंश हैं, जिसमें पांडव रहते थे। यह कुटिया यमुना के बीच में पहुंच गई है और पूरी तरह पत्थरों का टीला बन गई है।
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